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उवासगदसाओ
अहियासेंति, सक्का पुणाई अज्जो ! समणेहि निगंथेहि दुवालसंगं गणिपिडगं अहिज्जमाणेहि दिव्व-माणुस-तिरिक्खजोणिए उवसग्गे सम्म सहित्तए' 'खमि
त्तए तितिक्खित्तए ° अहियासित्तए । ४७. ततो ते बहवे समणा निग्गथा य निग्गंथीयो य समणस्स भगवनो महावीरस्स
तह त्ति एयमटुं विणएणं पडिसुणेति ।। कामदेवस्स पडिगमण-पदं ४८. तए णं से कामदेवे समणोवासए हट्टतुट्ठ- चित्तमाणदिए पीइमणे परमसोमण
स्सिए हरिसवस-विसप्पमाहियए° समणं भगवं महावीरं पसिणाई पुच्छइ, अट्ठमादियइ, समणं भग महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिण-पयाहिण करेइ, करेत्ता वंदइ णमंसइ, वंदित्ता णमंसित्ता जामेव दिसं पाउन्भूए, तामेव दिसं
पडिगए। भगवनो जणवयविहार-पदं ४६. तए णं समणे भगवं महावीरे अण्णदा कदाइ चंपायो नयरीनो पडिणिवखमइ,
पडिणिक्ख मित्ता बहिया जणवयविहारं विहरइ ।। कामदेवस्स उवासगपडिमा-पडिवत्ति-पदं ५०. तए' णं से कामदेवे समणोवासए पढम उवासगपडिम उवसंपज्जित्ता णं
विहरई ॥ ५१. 'तए णं से कामदेवे समणोवासए पढम उवासगपडिमं अहासुत्तं अहाकप्पं
अहामग्गं अहातच्चं सम्मं काएणं फासेइ पालेइ सोहेइ तीरेइ कित्तइ आराहेइ । ५२. तए णं से कामदेवे समणोवासए दोच्चं उवासगपडिम, एवं तच्चं, चउत्थं,
पंचम, छटुं, सत्तम, अट्ठमं, नवमं, दसमं, एक्कारसमं उवासगपडिमं अहासुत्तं अहाकप्पं अहामग्गं अहातच्चं सम्मं काएणं फासेइ पालेइ सोहेइ तीरेइ कित्तेइ
पाराहेइ ।। ५३. तए णं से कामदेवे समणोवासए इमेणं एयारूवेणं अोरालेणं विउलेणं पयत्तेणं
पग्गहिएणं तवोकम्मेणं सुक्के लुक्खे निम्मंसे अट्ठिचम्मावणद्धे किडिकिडियाभूए
किसे धमणिसंतए जाए। कामदेवस्स अणसण-पदं ५४. तए णं तस्स कामदेवस्स समणोवासयस्स अण्णदा कदाइ पुव्वरतावरत्तकाल
१. सं० पा०-सहित्तए जाव अहियासित्तए। २. सं० पा०-हट्टतुट जाव समण ।
३. तपो (क, ग, घ)। ४. सं० पा०-विहरइ तएणं ।
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