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________________ बीअं अज्झयणं (कामदेवे) ४२५ भसेल्ल-सरिसा से केसा कविलतेएणं' दिप्पमाणा, 'उट्टिया-कभल्ल-संठाण-संठियं'२ निडालं, मुगुंसपुच्छं व तस्स भुमकानो फुग्गफुग्गाओ' विगय-बीभत्स'दंसणाओ, सीसघडिविणिग्गयाइं अच्छीणि विगय-बीभत्स-दसणाई, कण्णा जह सुप्प-कत्तरं चेव विगय-बीभत्स -दंसणिज्जा, उरब्भपुडसंनिभा से नासा, झुसिरा जमल-चुल्ली-संठाण-संठिया दो वि तस्स नासापुडया", 'घोडयपुच्छं" व तस्स मंसूई कविल-कविलाई विगय-बीभत्स-दसणाइं, 'उटा उस्स चेव लंबा १६, फालसरिसा से दंता, जिब्भा जह सुप्प-कत्तरं चेव 'विगय-बीभत्सदंसणिज्जा", हल-कुड्डाल-संठिया से हणुया, गल्ल-कडिल्लं व तस्स खड्डे फुट्ट 'कविलं फरुसं महल्लं", मुइंगाकारोवमे से खंधे, पुरवरकवाडोवमे से वच्छे, कोट्ठिया-संठाण-संठिया दो वि तस्स बाहा, निसापाहाण-संठाण-संठिया दो वि तस्स अग्गहत्था, निसालोढ-संठाण-संठियाप्रो हत्थेसु अंगुलीयो, सिप्पि-पुडगसंठिया से नखा", पहाविय-पसेवनो" व्व उरम्मि" लंबंति दो वि तस्स थणया, पोट्टं प्रयकोटयो व्व वढू, 'पाण-कलंद'२-सरिसा से नाही", सिक्कग-संठाणसंठिए से नेत्ते, किण्णपुड-संठाण-संठिया दो वि तस्स वसणा, जमल-कोट्टिया १. कविला तेएण (क,ग,घ)। (वृपा)। २. महल्लउदिया ० (क,ख,ग); महल्लउट्रिया- १५. वृत्तावत्र अतिरिक्तपाठस्य उल्लेखोस्ति, कभल्लसरिसोवमं (वृषा)। पाठान्तरे-'हिंगुलयधाउकंदरबिलं व तस्स ३. भुमगाग्रो (ख); भुम्मकाओ (घ)। वयणं'। ४. फग्गुपुग्गाओ (क); जडिलजडिलाओ, १६. कुडा (क); कुडाल (ख); कूडा (ग); ____ जडिल कुडिलानो (वृपा)। कुद्दाल (घ)। ५. बीभच्छ (ख,घ)। १७. खंडं (क,ख)। ६. बीभच्छ (ख,घ)। १८. कविलफरुसं महल्लं (क,ग); कविलफरिस७. जहा (ख)। महल्लं (घ)। ८. बीभच्छ (ख,घ)। १६. नहा (ख); नक्खा (ग,घ); वाचनान्तरे तु ६. हुरप्पपुडसंठाणसंठिया (वपा)। इदमपरमधीयते-अडियालसंठिमो उरो १०. वत्तावत्र अतिरिक्तपाठस्य उल्लेखोस्ति, तस्स रोमविलो (ब)। वाचनान्तरे ---महल्लकुब्ब [कुच्च] संठिया दो २०. पसेवउ (क)। वि से कवोला। २१. उरंसि (ख,घ)। ११. ° पुंछ (क्व)। २२. पाणालंद (क,ग)। १२. बीभच्छ (ख,घ)। २३. नाभी (क,घ); वाचनान्तरेऽधीतं-भग्गकडी १३. घोडयपुच्छ व तस्स कविलफरुसाओ उड्ढलो विगयवंकपिट्ठी असरिसा दो वि तस्स मानो दाढियाओ (वपा)। फिसगा (वृ)। १४. उट्टा से घोडगस्स जह दोवि विलंबमाणा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003553
Book TitleAngsuttani Part 03 - Nayadhammakahao Uvasagdasao Antgaddasao Anuttaraovavai Panhavagarnaim Vivagsuya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1975
Total Pages922
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size15 MB
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