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नायाधम्मकहाओ
सो अप्पहिए क्करई, इहलोयम्मिवि विऊहिं पणयपत्रो। एगंतसुही जायइ, परम्मि मोक्खंपि पावेइ ॥१०॥
रोहिणी
जह रोहिणी उ सुण्हा, रोवियसाली जहत्थमभिहाणा । वड्डित्ता सालिकणे, पत्ता सव्वस्स सामित्तं ॥११॥ तह जो भव्वो पाविय, वयाइ पालेइ अप्पणा सम्म।। अण्णेसि वि भव्वाणं, देइ अणेगेसि हियहेउं ॥१२॥ सो इह संघप्पहाणो, जुगप्पहाणोत्ति लहइ संसदं । अप्पपरेंसि कल्लाण-कारो गोयमपहुव्व ॥१३।। तित्थस्स वुड्डिकारी, प्रक्खेवणो कुतित्थियाईणं । विउस-नरसेविय-कमो, कमेण सिद्धि पि पावेइ ॥१४॥
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