SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 958
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ बावीसइमो समवाओ ८५६ बावीसइमो समवाओ १. बावीसं परीसहा पण्णता, तं जहा-दिगिछापरीसहे पिवासापरीसहे सीतपरी सहे उसिणपरीसहे दंसमसगपरीसहे' अचेलपरीसहे अरइपरीसहे इत्थिपरीसहे चरियापरीसहे निसीहियापरीसहे सेज्जापरीसहे अक्कोसपरीसहे वहपरीसहे जायणापरीसहे अलाभपरीसहे रोगपरीसहे तणफासपरीसहे' जल्लपरीसहे सक्कारपरक्कारपरीसहे 'नाणपरीसहे दंसणपरीसहे पण्णापरीसहे" ॥ २. दिट्टिवायस्स ण बावीसं सुत्ताई छिण्णछेयणइयाई ससमयसुत्तपरिवाडीए । बावीसं सुत्ताइ अछिण्णछेयणइयाइं आजीवियसुत्तपरिवाडोए । बावीसं सुत्ताइं तिकणइयाइं तेरासिअसुत्तपरिवाडीए। बावीसं सुत्ताइं चउक्कणइयाइं ससमयसुत्तपरिवाडीए । ३. बावीसइविहे पोग्गलपरिणामे पण्णत्ते, तं जहा-कालवण्णपरिणामे नीलवण्ण परिणामे लोहियवण्णपरिणामे हालिद्दवण्णपरिणामे सुक्किल्लवण्णपरिणामे सुब्भिगंधपरिणामे दुब्भिगधपरिणामे तित्तरसपरिणामे "कडुयरसपरिणामे कसायरसपरिणामे अंबिलरसपरिणामे महुररसपरिणामे ° कक्खडफासपरिणामे मउयफासपरिणामे गरुफासपरिणामे लहुफासपरिणामे सीतफासपरिणामे उसिणफासपरिणामे णिद्धकासपरिणामे लुक्खफासपरिणामे 'गरुलहुफासपरिणामे अगरुलहुफासपरिणामे ॥ ४. इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवोए अत्थेगइयाणं नेरइयाणं बावीसं पलिओवमाई ठिई पण्णत्ता ५. छट्ठीए पुढवीए ने रइयाणं उक्कोसेणं बावोसं सागरोवमाइं ठिई पण्णत्ता। ६. अहेसत्तमाए पुढवीए नेरइयाणं जहण्णेणं बावीसं सागरोवमाइं ठिई पण्णत्ता ।। ७. असुरकूमाराणं देवाणं अत्थेगइया णं बावीसं पलिओवमाई ठिई पण्णत्ता। अत्थगइयाणं देवाणं बावीसं पलिओमाइं ठिई पण्णत्ता ।। ६. अच्चुते कप्पे देवाणं उक्कोसेणं बावीसं सागरोवमाई ठिई पण्णत्ता। १०. हेट्ठिम-हेट्ठिम-गेवेज्जगाणं देवाणं जहण्णेणं बावीसं सागरोवमाइं ठिई पण्णत्ता॥ १. दंसमसगफासप० (क)। २. तणपरीसहे (क, ग)। ३. अण्णाण° सण ° पण्णा° (क, ख, वृपा); अन्नाणादसण° पण्णा' (ग); पन्ना अन्नाण ° दंसण° (उत्तरा० २ सू० ३)। ४. समय° (ग)। ५. कालय ° (क, ग)। ६. सं० पा०--एवं पंचवि रसा। ७. गरुयलय ० अगरुलहुय ० (क); गरुलह ० रुयलहुय ° (ख), गरुलहुय ° अगरुलह ८. गेवेज्जाणं (क, ग)। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003551
Book TitleAngsuttani Part 01 - Ayaro Suyagao Thanam Samavao
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1975
Total Pages1108
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size17 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy