________________ 494] [अनुयोगद्वारसूत्र वेद 468 307 21 मंदर माटर माहिंद मुगुंद मुणिसुन्वन रम्मगवस्स रयण रयणप्पभा रामायण 49 173 21 203/2 475 169 165 38/3 me 49 173 or 26 रुयग लवण लंतय लोयायय वइसेसिय वक्खार वद्धमाण वेदिस वेसमण वेसिय सक्करभा सद्वितंत सणकुमार समवान समोसरण सयंभरमण सव्वदसिद्ध सहस्सार संती संभव सामाइय सावग सिव सीतल सुपास सुमती सुविही सूयगड सूर 173 203/2 203/2 49 74 203/2 21 203/2 203/2 203/2 389 389 165 169 203/2 203/2 सेज्जंस वाणमंतर वाण मंतरी वालुयप्पभा वासहर वासुपूज्ज विजय विमल वियाहपण्णत्ति विरुद्ध विवागसुय बीरिय बुड्ढ वेजयंत 203/2 173 203/2 M0 . सोहम्म हरिवस्स हरिवास हेटिमहेट्ठिमगेवेज्ज हमव हेमवय हेरण्णवय 375 344 344 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org