SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 543
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ परिशिष्ट-५ : संज्ञावाचक शब्दानुक्रम] 21 266 381/4 74 21 21 169 203/2 धम्मचितग धम्मो (दशकालिक का अध्ययन) धाय धमप्पभा नक्खत्त नंदी (द्वीप-समुद्र) नाग (देव) नाग (द्वीप-समुद्र) नागसुहुम नायाधम्मकहा निहि पउम पउमप्पभ पण्हावागरण पंकप्पभा पंडरंग पाडलिपुत्त पाणय पाणत 21 169 203/2 266 266 391/9 गोब्बतिय घय घोडमुह चउवीसत्थत्र चम्मखंडिय चरंग चंद चंदप्पह चातुरंगिज्जं चीरिग चीरिय जण्ण इज्ज जमईयं जय त जंबुद्दीव जोइसी जोतिसिय ठाण णमी णागकुमार तगरा तगरायड़ तमतमप्पभा तमतमा तमपुढवी तमप्पभा तमा तरंगवतिकार तिलय थणितकुमार दाहिणड्ढभरह दिढुिवान देव (द्वीप-समुद्र) देवकुरा देवकुरु 390/1 354 475 391/7 173 203/2 पास पुक्खर 203/2 2843 307 307 165 पुक्खलसंवटूय पुरिसइज्ज पुश्वविदेह बंभलोग्र बिंदुकार 683/4 343/3 266 344 173 308 49 307 344 बुद्धक्यण 347/5 308 बेन्नायड भरह 49 348/2 169 475 169 भारह मुयगवर भूय (द्वीप-समुद्र) मग्ग मलयवतिकार मल्ली महावीर महासुबक 475 203/2 358 173 203/2 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003500
Book TitleAgam 32 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorAryarakshit
AuthorMadhukarmuni, Shobhachad Bharilla, Devkumar Jain Shastri
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1987
Total Pages553
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy