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________________ 446] [अनुयोगद्वारसूत्र 565. से कि तं जाणयसरीरभवियसरीरवइरित्ते दवाये ? जाणयसरीरभवियसरीरवइरित्ते दवाये तिविहे पण्णत्ते / तं जहा—लोइए कुप्पावयणिए लोगुत्तरिए। 6565 प्र.] भगवन् ! ज्ञायकशरीरभन्यशरीरव्यतिरिक्त-द्रव्य आय किसे कहते हैं ? [565 उ. आयुष्मन् ! ज्ञायकशरीरभव्यशरीरव्यतिरिक्त-द्रव्य-पाय के तीन प्रकार हैं। यथा-१. लौकिक, 2. कुप्रवाचनिक, 3. लोकोत्तर / 566. से कि तं लोइए ? लोइए तिविहे पण्णत्ते / तं जहा–सचित्ते अचित्ते मोसए य / [566 प्र.] भगवन् ! (उभयव्यतिरिक्त) लौकिक द्रव्य-प्राय का क्या स्वरूप है ? |566 उ. आयुष्मन् ! लौकिकद्रव्य-पाय के तीन प्रकार कहे गये हैं। यथा--१. सचित्त, 2. अचित्त और मिश्र / 567. से किं तं सचित्त ? सचित्ते तिविहे पण्णत्ते / तं जहा --दुपयाणं चउप्पयाणं प्रपयाणं / दुपयाणं दासाणं, दासीण, चउप्पयाणं आसाणं हत्थीणं, अपयाणं अंबाणं अंबाडगाणं आए / से तं सचित्ते। [567 प्र.| भगवन् ! सचित्त लौकिक-प्राय का क्या स्वरूप है ? [567 उ. अायुष्मन् ! सचित्त लौकिक-प्राय के भी तीन प्रकार हैं / यथा-१. द्विपद-प्राय 2. चतुष्पद-पाय, 3. अपद-पाय / इनमें से दास-दासियों की आय (प्राप्ति) द्विपद-पाय रूप है। अश्वों (घोड़ों) हाथियों की प्राप्ति चतुष्पद-ग्राय रूप और प्राम, अामला के वृक्षों आदि अपद-प्राय रूप है। इस प्रकार सचित्त ग्राय का स्वरूप जानना चाहिये / 568. से किं तं अचित्ते ? / अचित्ते सुवण्ण-रयत-मणि-मोत्तिय-संख-सिलप्पवाल-रत्तरयमाणं [संतसावएज्जस्स] आये। से तं अचित्ते। [568 प्र. भगवन् ! (उभयव्यतिरिक्तलौकिक-बाय के दूसरे भेद) अचित्त-आय का क्या स्वरूप है ? [568 उ.] आयुष्मन् ! सोना-चांदी, मणि-मोती, शंख, शिला, प्रवाल ( मूंगा ) रक्तरत्न (माणिक) आदि (सारवान् द्रव्यों) की प्राप्ति अचित्त-प्राय है / 569. से कि तं मीसए ? मीसए दासाणं दासीणं प्रासाणं हत्थीणं समाभरियाउज्जालंकियाणं आये / से तं मीसए / सेतं लोइए। 1569 प्र.] भगवन् ! मिश्र (सचित्त-अचित्त उभय रूप) आय किसे कहते हैं ? Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003500
Book TitleAgam 32 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorAryarakshit
AuthorMadhukarmuni, Shobhachad Bharilla, Devkumar Jain Shastri
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1987
Total Pages553
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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