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________________ 316] [अनुयोगद्वारसूत्र [प्र.] भगवन् ! सूर्यविमानों की देवियों की स्थिति कितने काल की कही गई है ? [उ] गौतम ! सूर्यविमानों की देवियों की जघन्य स्थिति पल्योपम का चतुर्थ भाग और उत्कृष्ट स्थिति पाँचसौ वर्ष अधिक अर्धपल्योपम की होती है। [4] गह विमाणाणं भंते ! देवाणं जाव जहन्नेणं चउभागपलिओवमं उक्को० पलिओवमं / गह विमाणाणं भंते ! देवीणं जाव जह० चउभागपलिओवम उक्कोसेणं अद्धपलिओवमं / [390-4 प्र.] भगवन् ! ग्रहविमानों के देवों की स्थिति कितने काल की कही है ? [390-4 उ.] गौतम ! जघन्य स्थिति पल्योपम का चतुर्थ भाग और उत्कृष्ट स्थिति एक पल्योपम की है। [प्र.] भगवन् ! ग्रहविमानों की देवियों की स्थिति कितने काल की बताई है ? [उ.] गौतम ! जघन्य स्थिति पल्योपम का चतुर्थ भाग और उत्कृष्ट स्थिति का प्रमाण अर्धपल्योपम का है। [5] णक्खतविमाणाणं भंते ! देवाणं जाव गोयमा! जह० चउभागपलिओवम उक्को० अद्धपलिनोवमं / णक्खतविमाणाणं भंते ! देवीणं जाव गो० ! जहन्नेणं चउभागपलिनोवम उक्को० सातिरेग चउभागपलिओवमं / [390-5 प्र.] भगवन् ! नक्षत्रविमानों के देवों की स्थिति कितने काल की कही गई है ? [390-5 उ.] गौतम ! उनकी जघन्य स्थिति पल्योपम का चतुर्थ भाग और उत्कृष्ट स्थिति अर्धपल्योपम की होती है। [प्र.] भगवन् ! नक्षत्रविमानों की देवियों की स्थिति का प्रमाण क्या है ? [उ.] गौतम ! उनकी जघन्य स्थिति पल्योपम का चतुर्थ भाग और उत्कृष्ट स्थिति साधिक पल्योपम का चतुर्थ भाग प्रमाण है / [6] ताराविमाणाणं भंते ! देवाणं जाव गो० ! जह० सातिरेगं अट्ठभागपलिग्रोवम उक्को० चउभागपलिग्रोवमं / ताराविमाणाणं भंते ! देवीणं जाव गो० ! जहन्नेणं अट्ठभागपलिग्रोवम उक्को० सातिरेगं अट्ठभागपलिओवमं। [390-6 प्र.] भगवन् ! ताराविमानों के देवों की स्थिति कितने काल की है ? [390-6 उ.] गौतम ! कुछ अधिक पल्योपम का अष्टमांश भाग जघन्य स्थिति है और उत्कृष्ट स्थिति पल्योपम का चतुर्थ भाग है। [प्र.] भगवन् ! ताराविमानों की देवियों की स्थिति का काल कितना कहा है ? [उ.] गौतम ! जघन्य स्थिति पल्योपम का आठवां भाग और उत्कृष्ट स्थिति साधिक पल्योपम का आठवां भाग है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003500
Book TitleAgam 32 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorAryarakshit
AuthorMadhukarmuni, Shobhachad Bharilla, Devkumar Jain Shastri
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1987
Total Pages553
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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