________________ प्रमाणाधिकार निरूपण] [303, गौतम ! अप्कायिक जीवों की प्रौधिक जघन्य स्थिति अन्तर्मुहूर्त और उत्कृष्ट स्थिति मात हजार वर्ष की है। सामान्य रूप में सूक्ष्म अप्कायिक तथा अपर्याप्त और पर्याप्त प्रकायिक जीवों की जघन्य एवं उत्कृष्ट स्थिति अन्तर्मुहूर्त प्रमाण है / गौतम ! बादर अप्कायिक जीवों की जघन्य और उत्कृष्ट स्थिति सामान्य अकायिक जीयों के तुल्य जघन्य अन्तर्मुहूर्त और उत्कृष्ट सात हजार वर्ष है। गौतम ! अपर्याप्त बादर प्रकायिक जीवों को जघन्य स्थिति अन्तर्मुहूर्त की और उत्कृष्ट भी अन्तर्मुहूर्त प्रमाण है। गौतम ! पर्याप्तक बादर अप्कायिक जीवों की जघन्य स्थिति अन्तर्मुहूर्त और उत्कृष्ट स्थिति अन्तर्मुहूर्त न्यून सात हजार वर्ष की है। __ [3] तेउकाइयाणं भंते ! जाव गो० ! जह अंतोमुहत्तं उक्कोसेणं तिणि राइंदियाई। सुहमतेउकाइयाणं ओहियाणं अपज्जत्तयाण पज्जत्तयाण य तिण्ह कि जह० अंतो० उक्को० अंतो० / बादरतेउकाइयाणं भंते ! जाव गो० ! जह• अंतोमुहत्तं उक्कोसेणं तिणि राईदियाई। अपज्जत्तयबायरतेउकाइयाणं जाव गो० ! जह० अंतो० उक्कोसेणं अंतो ! पज्जत्तयवायरतेउकाइयाण जाव गो० ! जहं० अंतो० उक्कोसेणं तिष्णि राइंदियाइं अतोमुहुतूणाई। [385-3 प्र.] भगवन् ! (सामान्य रूप में) तेजस्कायिक जीवों की कितनी स्थिति कही गई है ? / [385-3 उ.] आयुष्मन् ! सामान्य तेजस्कायिक जीवों की जघन्य स्थिति अन्तर्मुहूर्त की और उत्कृष्ट तीन रात-दिन की बताई है। ___ौधिक सूक्ष्म तेजस्कायिक और पर्याप्त, अपर्याप्त सूक्ष्म तेजस्कायिक की जघन्य स्थिति भी अन्तर्मुहूर्त की है और उत्कृष्ट स्थिति भी अन्तर्मुहूर्त की है। [प्र.] भगवन् ! बादर तेजस्कायिक जीवों की स्थिति कितने काल की है ? [उ.] गौतम ! बादर तेजस्कायिक जीवों की जघन्य स्थिति अन्तर्मुहूर्त की और उत्कृष्ट स्थिति तीन रात्रि-दिन की होती है / प्र.] भगवन् ! अपर्याप्त बादर तेजस्कायिक जीवों की जघन्य और उत्कृष्ट स्थिति का कालप्रमाण कितना है ? [उ.] गौतम ! उनकी जघन्य और उत्कृष्ट स्थिति अन्तर्मुहुर्त प्रमाण है / [प्र.] भगवन् ! पर्याप्त बादर तेजस्कायिक जीवों की स्थिति कितनी होती है ? Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org