________________ 268) [अनुयोगद्वारसूत्र गम्भवक्कंतियचउप्पयथलयरपर्चेदियाणं पुच्छा, गोयमा ! जह० अंगु० असं०, उक्को० छ गाउयाई। अपज्जत्तयगम्भवतियचउप्पयथलयरपंचेंदियाणं पुच्छा, गो० ! जह० अंगु० असं० उक्कोसेणं अंग० असं० / पज्जत्तयाणं जहन्नेणं अंगु० असंखे०, उक्कोसेणं छ गाउयाई। उरपरिसप्पथलयरपंचिदियाणं पुच्छा, गो० ! जहन्नेणं अंग० असं० उक्कोसेणं जोयणसहस्सं / सम्मुच्छिमउरपरिसप्पथलयरपंचेंदियाणं पुच्छा, गो० ! जहन्नेणं अंगु० असंखे० उक्कोसेणं जोयणपुहत्तं। अपज्जत्तयाणं जह० अंगु० असं०, उक्कोसेणं अंगुल० असं० / पज्जत्तयाणं जह० अंग० असंखे०, उक्कोसेणं जोयणपुहत्तं / गम्भवक्कं तियरपरिसप्पथलयर० जह• अंगु० असं० उक्कोसेणं जोयणसहस्स; अपज्जत्तयाणं जह० अंगु० असं०, उक्कोसेणं अंगु० असं / पज्जत्तयाणं जह० अंगु० असंखे०, उक्कोसेणं जोयणसहस्सं / भुयपरिसप्पथलयराणं पुच्छा, गो० ! जह० अंगु० असंखे० उक्कोसेणं गाउयपुहत्तं / सम्मुच्छिमभुय० जाव जह० अंगु० असं० उक्को० घणुपुहत्तं / अपज्जत्तगसम्मुच्छिमभुय० जाब पुच्छा, गो ! जह० अंगु० असं०, उक्को० अंगु० असं० / पज्जत्तयाणं जह० अअंग० संखे०, उक्कोसेणं धणहत्तं / गम्भवक्कैतियभुय० जाच पुच्छा, गो० ! जहः अंगु० असं०, उक्कोसेणं गाउयपुहत्तं / अपज्जत्तयाणं जह० अंगु० असं०, उक्कोसेणं अंगु० असं० / पज्जत्तयगमवक्कं तिय० जाव पुच्छा, गो० ! जह० अंगु० असंखे०, उक्को० गाउयपुहत्तं / [351-3 प्र.] भगवन् ! चतुष्पदस्थलबरपंचेन्द्रियतिर्यंचयोनिकों की अवगाहना के विषय में जिज्ञासा है ? [351-3 उ.] गौतम ! सामान्य रूप में (चतुष्पदस्थलचरपंचेन्द्रिय तिर्यचों की) जघन्य अवगाहना अंगुल के असंख्यातवें भाग एवं उत्कृष्ट छह गन्यूति की है।। [प्र.] समूच्छिम चतुष्पदस्थलचरपंचेन्द्रियतिर्यंचयोनिकों को अवगाहना कितनी है ? [उ.] गौतम ! जघन्य अंगुल के असंख्यातवें भाग और उत्कृष्ट गन्यूतिपृथक्त्व (दो से नौ गन्यूति) प्रमाण है। [प्र.] भगवन् ! अपर्याप्त समूच्छिम चतुष्पदस्थलचरपंचेन्द्रिय तिर्यचों को अवगाहना कितनी है ? [उ.] गौतम ! उनकी जघन्य एवं उत्कृष्ट अवगाहना अंगुल के असंख्यातवें भाग की है। [प्र.] भगवन् ! पर्याप्त समूच्छिम चतुप्पदस्थलचरपंचेन्द्रियतिर्यचयोनिकों की कितनी शरीरावगाहना है ? Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org