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________________ 381 386 AWWWW NA 386 388 401 401 दर्शनगुणप्रमाण चारित्रगुणप्रमाण नयप्रमाणनिरूपण प्रस्थकदृष्टान्त द्वारा नयनिरूपण वसतिदृष्टान्त द्वारा नयनिरूपण प्रदेशष्टान्त द्वारा नयनिरूपण भव्यशरीर द्रव्यसंख्या निरूपण ज्ञायकशरीर-भव्यशरीर-व्यतिरिक्त द्रव्य शंख एकभविक प्रादि शंखविषयक नयदृष्टि औपम्यसंख्यानिरूपण सत्-सदरूप प्रौपम्यसंख्या सद्-प्रसद् रूप औपम्यसंख्या असत्-सत् प्रौपम्य संख्या असद्-असद् रूप प्रौपम्य संख्या परिमाणसंख्यानिरूपण कालिकश्रुतपरिमाणसंख्या दृष्टिवाद श्रुतपरिमाणसंख्यानिरूपण ज्ञानसंख्या निरूपण मणनासंख्यानिरूपण संख्यात आदि के भेद संख्यातनिरूपण परीतासंख्यातनिरूपण युक्तासंख्यातनिरूपण असंख्यातासंख्यात का निरूपण परीतानन्तनिरूपण युक्तानन्तनिरूपण अनन्तानन्तनिरूपण भाव-संख्यानिरूपण वक्तव्यतानिरूपण वक्तव्यता के भेद स्वसमयवक्तव्यतानिरूपण परसमयवक्तव्यतानिरूपण स्वसमय-परसमयवक्तव्यतानिरूपण वक्तव्यता के विषय में नयदृष्टियाँ 0 0 0 0 0 on or m"-xxr 1704 0 0 0 0 0 0 409 412 G Aao 424 424 425 426 426 [18] Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003500
Book TitleAgam 32 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorAryarakshit
AuthorMadhukarmuni, Shobhachad Bharilla, Devkumar Jain Shastri
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1987
Total Pages553
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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