________________ मतिज्ञान] [77 राजा अब क्या उत्तर देता? मन ही मन कटकर रह गया / रोहक की बुद्धि के सामने उसकी अपनी अकल पानी भरने लगी। (7) हस्ती—एक दिन राजा ने एक वृद्ध ही नहीं अपितु मरणासन्न हाथी नटों के गाँव में भेज दिया और कहलवाया- "इस हाथी की अच्छी तरह सेवा करो और प्रतिदिन इसके समाचार मेरे पास भेजते रहो, पर कभी आकर यह मत कहना कि वह मर गया है, अन्यथा दंड दिया जायगा।" लोगों ने फिर रोहक से सलाह ली। रोहक ने उत्तर दिया-'हाथी को अच्छी खुराक देते रहो, आगे जो होगा, मैं सम्हाल लगा।' यही किया गया / हाथी को शाम को उसके अनुकूल खुराक दी गई किन्तु वह रात्रि को ही मर गया / लोग घबराए कि अब राजा को जाकर क्या समाचार दें ? किन्तु रोहक ने उन्हें तसल्ली दी और उसके निर्देशानुसार ग्रामवासियों ने जाकर राजा से कहा"महाराज ! आज हाथी न कुछ खाता है, न पीता है, न उठता है न ही कुछ चेष्टा करता है।" यहाँ तक कि वह आज सांस भी नहीं लेता।" राजा ने कुपित होते हुए पूछा--"तो क्या हाथी मर गया ?'' ग्रामीण बोले-"प्रभु ! हम ऐसा कैसे कह सकते हैं, ऐसा तो आप ही फरमा सकते हैं।" राजा ने समझ लिया कि हाथी मर गया किन्तु रोहक की चतुराई से गाँववालों ने यही बात अन्य प्रकार से समझाई है / राजा चुप हो गया। गांववासी भी जान बचाकर सहर्ष अपने घरों की ओर लौट आए। (8) अगड-कप–एक बार राजा ने नटों के गाँव फिर संदेश भेजा--"तुम्हारे यहाँ जो कुत्रा है वह अत्यन्त मधुर एवं शीतल जल वाला है / अत: उसे हमारे यहाँ भेज दो, अन्यथा दंड के भागी बनोगे।" राजाज्ञा प्राप्तकर लोग चिन्ताग्रस्त होते हुए पुनः रोहक की शरण में दौड़े। रोहक ने ही उन्हें फिर चिन्तामुक्त कर दिया / उसके द्वारा सिखाये हुए व्यक्ति राजा के पास पहुँचे और कहने लगे महाराज ! हमारे यहाँ का कुआ ग्रामीण है / वह बड़ा भीरु और संकोचशील है। इसलिये आप अपने यहाँ के किसी कुए को हमारे यहाँ भेजने की कृपा कीजिए। अपने सजातीय पर विश्वास करके वह उसके साथ नगर में आ जाएगा।" राजा रोहक की बुद्धि की प्रशंसा करता हुआ चुप हो गया। (6) वन-खण्ड-कुछ दिन निकल जाने के बाद एक दिन राजा ने फिर रोहक के गाँववालों को संदेश भेजा—'तुम्हारे गाँव के पूर्व में जो वन-खण्ड है उसे पश्चिम में कर दो।' ऐसा करना क्या गाँववालों के वश की बात थी ? रोहक ने ही उन्हें सुझाया-'इस गाँव को ही वनखण्ड की पूर्वदिशा में बसा लो। ऐसा करने पर वनखण्ड स्वयं पश्चिम दिशा में हो जायगा।' लोगों ने ऐसा ही किया तथा राजकर्मचारियों के द्वारा कार्य पूर्ण हो जाने का संदेश भेज दिया गया। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org