________________ 714] [उत्तराध्ययनसूत्र 36 जे यावि होइ निविज्जे जे लक्खणं सुविण पउंजमाणे जे वज्जए एए सया उ दोसे जे समत्था समुद्धत्तुं 254 105 20 17 तो संवच्छरद्ध तु 45 तमो से जायंति 21 तमो से दंडं समारभई 8 तपो से पुटु 12 तनो से मरणतम्मि 15 तत्रो से पहसिनो राया 21 तो हं एवमासु 4 123 तण्हाकिलतो 28 27 तण्हाभिभूयस्स अदत्तहारिणो 25 30 जेसि विउला जेऽसंखया तुच्छ परप्पवाई जो अस्थिकायधम्म जो जस्स उ आहारो जो जिणदिदै भावे जो न सज्जइ जो पव्वइत्ताण जोयणस्स उ जो तत्थ जो लोए बंभणो वुत्तो जो सहस्सं सहस्साणं जो सहस्सं सहस्साणं जो सुत्तमहिज्जतो जो सो इत्तरियतवो or Morm ~Morrm frm m mom ठाणा वीरासणाईया ठाणे निसीयणे व ठाणे य इइ के वुत्ते 24 62 19 तत्ताई तंबलोहाई 34 तत्तो य वग्ग वग्गो 40 तत्तो वि य उवट्टित्ता तत्थ ग्रालंबण तत्थ ठिच्चा जहाठाण तत्थ पंचविहं नाणं तत्थ सिद्धा महाभागा तत्थ से चिट्ठमाणस्स तत्थ सो पास तत्थिमं पदमं ठाणं तत्थोववाइयं ठाण 32 तम्मेव य नक्खत्त 10 तम्हा एएसि कम्माण 34 तम्हा एयासि लेसाणं 6 तम्हा विणयमेसिज्जा 31 तम्हा सुयमहिट्ठिज्जा 25 तमंतमेणेव उ से असोले 18 तवनारायजत्तण 16 तवस्सियं किस दंतं 11 तवो जोई जीवो जोइठाणं 4 तवो य दुविहो 36 254 तवोवहाणमादाय 10. KalMKOCHIWRM0 त तइयाए पोरिसीए तो पाउपरिक्खीणे तो कल्ले पभायं मि तम्रो कम्मगुरू जन्तु तो काले अभिप्पेए तग्रो केसि बुवंतं तु तो जिए सई होइ तो तेणज्जिए तो पुट्ठो प्रायंकेणं तो पुट्ठो पिवासाए तो बहूणि वासाणि co we o ex Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org