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________________ 712] [उत्तराध्ययनसूत्र 23 68 35 الله 14 و 13 चंदा सूरा य चंपाए पालिए चाउज्जामो य जो धम्मो चिच्चाण धणं च भारियं चिच्चा दुपयं चिच्चा रट्ठ चित्तमंतमचित्तं वा चित्तो वि कामेहि चिरं पि से चीराजिणं नगिणिणं चीदराई विसारतो و mom mmmmmmmm الله छच्चेव य मासाऊ छज्जीवकाए असमारभंता छब्बीस सागराई छन्दणा दव्वजाएणं छंदं निरोहेण उवेइ मोक्खं छिदित्त जालं छिन्नाले छिदइ सेल्लि छिन्नावाएसु छिन्नं सरं भोमं अंतलिक्खं छुहा तण्हा य ow Mr ON 36 206 जरा-मरणवेगेणं 211 जलधन्ननिस्सिया जीवा 23 जस्सत्थि मच्चुणा सक्खं 10 26 जह कडुय तुंबगरसो 24 जह करगस्स फासो 20 जह गोमडस्स गंधो 25 जह तरुणअंबगरसो 35 जह तिगडुयस्स य रसो 41 जह परिणयंबगरसो 21 जह बूरस्स व फासो __34 जह सुरहिकुसुमगंधो जह अग्गिसिहा दित्ता 152 जहाएसं समुद्दिस्स जहाइण्णसमारूढे जहा इहं अगणी 236 जहा इहं इमं सीयं जहा उ पावगं जहा करेणुपरिकिण्णे जहा कागणिए जहा किपागफलाणं जहा कुमग्गे उदगं जहा गेहे पलित्तमि जहा चंदं गहाईया जहा तुलाए तोले उं 22 44 जहा दुक्खं भरेउं जे जहा दवग्गी परिधणे वणे 38 जहा पोम्म 16 जहा बिरालावसहस्स 41 जहा भुयाहिं 8 जहा महातलायस्स 10 जहा मिए एग अणेगचारी 7 जहा मिगस्स प्रायंको जहा य अग्गी जहा य अंडप्पभवा बलागा 18 12 जहा य किपागफलाणं 16 46 जहा य तिणि वाणिया 3 o mr m जइ तं काहिसि भावं जइ त सि भोगे चइ5 असत्तो जइत्ता विउले जन्ते जइ मज्झ कारणा एए जइ सि रूवेण वेसमणो जक्खे तहिं तिदुगरुक्खवासी जगनिस्सिएहि जणेण सद्धि होक्खामि जम्मं दुक्खं जया य से सुही होइ जया सच्चं परिच्चज्ज जरा-मरणकंतारे ARux my mm or Mor mmm mruar9 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003498
Book TitleAgam 30 Mool 03 Uttaradhyayana Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1984
Total Pages844
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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