________________ छत्तीसवाँ अध्ययन: जीवाजोवविभक्ति] [ 677 . [235] द्वितीय अवेयक-देवों की उत्कृष्ट आयुस्थिति चौवीस सागरोपम की, जघन्य तेईस सागरोपम की है। 236. पणवीस सागराई उक्कोसेण ठिई भवे / तइयम्मि जहन्नेणं चउवीसं सागरोवमा / / [236] तृतीय ग्रैवेयक-देवों की उत्कृष्ट प्रायुस्थिति पच्चीस सागरोपम की और जघन्य चौवीस सागरोपम की है। 237. छन्वीस सागराइं उक्कोसेण ठिई भवे / चउत्थम्मि जहन्नेणं सागरा पणुवोसई // __ [237] चतुर्थ ग्रेवेयक-देवों को उत्कृष्ट आयुस्थिति छब्बीस सागरोपम को और जघन्य पच्चीस सागरोपम की है 238. सागरा सत्तवोसं तु उक्कोसेण ठिई भवे / पंचमम्मि जहन्नेणं सागरा उ छवीसई॥ [238] पंचम ग्रंवेयक-देवों की उत्कृष्ट प्रायुस्थिति सत्ताईस सागरोपम को और जघन्य छब्बीस सागरोपम की है। 239. सागरा अट्ठवोसं तु उक्कोसेण ठिई भवे / छट्ठम्मि जहन्नेणं सागरा सत्तवीसई // [236] छठे वेयक-देवों को उत्कृष्ट आयुस्थिति अट्ठाईस सागरोपम की और जवन्य सत्ताईस सागरोपम की है। 240. सागरा अउणतीसं तु उक्कोसेण ठिई भवे / सत्तमम्मि जहन्नेणं सागरा अट्ठवीसई // [240] सप्तम ग्रैवेयक-देवों को उत्कृष्ट अायुस्थिति उनतीस सागरोपम की और जघन्य अट्ठाईस सागरोपम की है। 241. तोसं तु सागराई उक्कोसेण ठिई भवे / अट्ठमम्मि जहन्नेणं सागरा अउणतीसई // [241] अष्टम ग्रैवेयक-देवों की उत्कृष्ट प्रायुस्थिति तीस सागरोपम को और जघन्य उनतीस सागरोपम की है। 242. सागरा इक्कतीसं तु उक्कोसेण ठिई भवे / ___ नवमम्मि जहन्नेणं तीसई सागरोवमा // [242] नवम ग्रैवेयक-देवों को उत्कृष्ट आयुस्थिति इकतोस सागरोपम को और जघन्य तीस सागरोपम की है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org