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________________ 664] [उत्तराध्ययनसूत्र 124] इनके वर्ण, गन्ध, रस, स्पर्श एवं संस्थान की अपेक्षा से हजारों भेद हैं / विवेचन यहाँ जो चतुरिन्द्रिय जीवों के नाम गिनाए गए हैं, उनमें से कई तो अप्रसिद्ध हैं, कई जीव भिन्न-भिन्न देशों में तथा कुछ सर्वत्र प्रसिद्ध हैं।' पंचेन्द्रियत्रस-निरूपण 155. पंचिन्दिया उजे जीवा चउन्विहा ते वियाहिया। नेरइया तिरिक्खा य मणुया देवा य आहिया // (155] जो पंचेन्द्रिय जीव हैं, वे चार प्रकार के कहे गए हैं-नैरयिक, तिर्यञ्च, मनुष्य और देव / विवेचन-पंचेन्द्रियजीवों का जन्म और निवास-प्रस्तुत गाथा में जो चार प्रकार के पंचेन्द्रियजीव बताए गए हैं, उनका जन्म और निवास प्रायः इस प्रकार है-नैरयिकों का जन्म एवं निवास अधोलोकस्थित सात नरकभूमियों में होता है / मनुष्यों का मध्य (तिर्यक् ) लोक में, और तिर्यञ्चों का जन्म एवं निवास प्रायः तिर्यक् लोक में होता है, किन्तु देवों में से वैमानिक देवों का अवलोक में, ज्योतिष्कदेवों का मध्यलोक के अन्त तक, और भवनपति तथा व्यन्तर देवों का जन्म एवं निवास प्रायः तिर्यग्लोक में एवं अधोलोक के प्रारम्भ में होता है। नारकजीव 156. नेरइया सत्तविहा पुढवीसु सत्तसू भवे / रयणाभ--सक्कराभा वालुयाभा य आहिया / / 157. पंकाभा धमाभा तमा तमतमा तहा। इइ नेरइया एए सत्तहा परिकित्तिया // [156-157] नैरयिक जीव सात प्रकार के हैं -रत्नप्रभा, शर्कराप्रभा, बालुकाप्रभा, पंकप्रभा, धूमप्रभा, तमःप्रभा तथा तमस्तमःप्रभा, इस प्रकार इन सात पृथ्वियों में उत्पन्न होने वाले नैरयिक सीत प्रकार के कहे गए हैं। 158. लोगस्स एगदेसम्मि ते सव्वे उ वियाहिया / एतो कालविभागं तु वुच्छं तेसि चउन्विहं / / [158] वे सब नैरयिक लोक के एक देश में रहते हैं, (समग्र लोक में नहीं।) इससे आगे उनके (नैरयिकों के) चार प्रकार से कालविभाग का कथन करूंगा। 159. संतई पप्पऽणाईया अपज्जवसिया विय। ठिई पडुच्च साईया सपज्जवसिया वि य॥ [159] वे प्रवाह की अपेक्षा से अनादि-अनन्त हैं, किन्तु स्थिति को अपेक्षा से सादि-सान्त 1. उत्तरा. प्रियशिनीटीका, भा. 4, पृ. 875 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003498
Book TitleAgam 30 Mool 03 Uttaradhyayana Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1984
Total Pages844
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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