________________ चौवीसवाँ अध्ययन : प्रवचनमाता] [419 प्रवचनमाताओं के आचरण का सुफल 27. एया पवयणमाया जे सम्म आयरे मुणी। से खिप्पं सब्वसंसारा विप्पमुच्चइ पण्डिए / --त्ति बेमि _ [27] जो पण्डित मुनि इन प्रवचनमाताओं का सम्यक् आचरण करता है, वह शीघ्र ही समग्र संसार (जन्म-मरणरूप चातुर्गतिक संसार) से मुक्त हो जाता है / -ऐसा मैं कहता हूँ। / / प्रवचनमाता: चौवीसवाँ अध्ययन समाप्त // Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org