________________ 252] [उत्तराध्ययनसूत्र पूर्वक्रीड़ित स्मरण का, श्रोत्रेन्द्रियसंयम के लिए स्त्रियों के विकारजनक शब्दश्रवण का एवं सर्वेन्द्रियसंयम के लिए पंचेन्द्रियविषयों में आसक्ति का त्याग बताया है।' * साथ ही इन इन्द्रियों एवं मन पर संयम न रखने के भयंकर परिणाम भी प्रत्येक समाधिस्थान के साथ-साथ बताये गए हैं / अन्त में पद्यों में उक्त दस स्थानों का विशद निरूपण भी कर दिया गया है तथा ब्रह्मचर्य की महिमा भी प्रतिपादित की है / * पूर्वोक्त अनेक परम्पराओं के सन्दर्भ में ब्रह्मचर्य के इन दस समाधिस्थानों का महत्त्वपूर्ण वर्णन इस अध्ययन में है। 1. उत्तरा. मूल, अ. 16, गा. 1 से 13 तक Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org