________________ 648 649 652 653 13. mur * * * * 0 Worr 4 संमारस्थ जीव स्थावर जीव और पृथ्वीकायतिरूपण अप्कायनिरूपण वनस्पतिकायनिरूपण त्रसकाय के तीन भेद तेजस्कायनिरूपण वायुका यनिरूपण उदार त्रसकायनिरूपण द्वीन्द्रिय अस त्रीन्द्रिय त्रस चतुरिन्द्रिय अस पंचेन्द्रियत्रसनिरूपगा नारक जीव पंचेन्द्रिय तियंञ्च त्रस जलचर त्रस स्थलचर त्रस खेचर बस मनुष्यनिरूपण देवनिरूपण उपसंहार अन्तिम साधना : संलेखना का विधिविधान मरणविराधना-मरण पाराधना : भावनाएँ कान्दपी आदि अप्रशस्तभावनाएँ उपसंहार 662 664 664 667 1 " 671 * isisi 687 [ 110 / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org