________________ 522 523 525 526 529 536 कंबली के योगनिरोध का क्रम मोक्ष की ओर जीव की गति एवं स्थिति का निरूपण तीसवाँ अध्ययन : तपोमार्गगति अध्ययन-मार तप द्वारा कर्मक्षय की पद्धति तप के भेद-प्रभेद बाह्य तप: प्रकार, अनशन के भेद-प्रभेद अवमौदर्य (ऊनौदगे) तपः स्वरूप और प्रकार भिक्षाचर्यातप रमपरित्यागतप : एक अनुचिन्तन कायक्लेगतप विविक्तशय्यासनः प्रतिसंलीनतारूप तप ग्राभ्यन्तर तप और उसके प्रकार प्रायश्चित्त: स्वरूप और प्रकार बिनयतप : स्वरूप और प्रकार वैयावत्य का स्वरूप स्वाध्याय : स्वरूप और प्रकार ध्यान : लक्षण और प्रकार व्युत्सर्ग : स्वरूप और विश्लेषण द्विविध तप का फल xx MNXX Kuww 580 541 542 543 544 548 552 553 5.54 इकतीसवाँ अध्ययनः चरणविधि अध्ययन-मार वरणविधि के सेवन का परिणाम चरणविधि को संक्षिप्त झांकी दो प्रकार के पापकर्म बन्धन से निवृत्ति तीन वोल--दण्ड, गौरव, शल्य चार बोल—विकथा, कपाय, संज्ञा, ध्यान पांच बोल-व्रत, इन्द्रिय विषय, समिति, क्रिया छह बोल-लेण्या, काय, आहार के कारण मात बोल-पिण्डावग्रह प्रतिमा, भयस्थान पाठवाँ-नौवाँ-दशवा बोल-मदस्थान,ब्रह्मगृप्ति, भिक्षधर्म ग्यारहवाँ-बारहवाँ बोल-उपासकप्रतिमा, भिक्षुप्रतिमा तरह-चौदह-पन्द्रहवाँ बोल -क्रियास्थान, भूतग्राम, परमाधामिक देव मोलह-मत्रहवाँ बोल -गाथाषोडशक, असंयम 558 Xxx [ 107] Jain Education International, For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org