________________ छब्बीसवाँ अध्ययन : सामाचारी 838 441 अध्ययन-सार सामाचारी और उसके दश प्रकार दणविध मामाचारी का प्रयोजनात्मक स्वरूप दिन के चार भागों में उत्तरगुणात्मक दिनचर्या पौरुषी का कालपरिज्ञान औमगिक रात्रिचर्या विशेष दिनचर्या प्रतिलेखना संवधी विधि-निषेध ततीय पौरपी का कार्यक्रमः भिक्षाचर्या चतुर्थ पीमधी का कार्यक्रम देवसिक कार्यक्रम राविक चर्या और प्रतिक्रमण उपमंहार 481 443 सत्ताईसवाँ अध्ययनः खलुकीय अध्ययन-सार गार्ग्य मुनि का परिचय अविनीत शिष्य दुष्ट वृषभा स उपमित प्राचार्य गाग्यं का चिन्तन कुशियों का त्याग करके तप.साधना में संलग्न गार्याचार्य 457 459 463 464 465 पाढाईसवाँ अध्ययनः मोक्षमार्गगति अध्ययन-सार मोक्षमार्गगति: माहात्म्य और स्वरूप ज्ञान और उसके प्रकार द्रव्य, गुण और पर्याय का लक्षण नौ तत्व और सम्यक्त्व का लक्षण दणविध चिरूप सम्यक्त्व के दश प्रकार मम्यक्त्वश्रद्धा के स्थायित्व के तीन उपाय सम्यग्दर्शन की महत्ता सम्यक्त्व के पाठ अंग चारित्र: स्वरूप और प्रकार मम्यक् तपः भेद-प्रभेद . .. 0 [ 105 ] Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org