________________ पंचम अध्ययन : पिण्डषणा] [223 251. वड्ढइ सोंडिया तस्स, मायामोसं च भिक्खुणो। अयसो य अनिव्वाणं, सययं च असाहुया // 38 // 252. निच्चुध्विग्गो जहा तेणो, अत्तकम्मेहि दुम्मई। तारिसो मरणते वि, नाऽऽराहेइ संवरं // 39 // 253. प्रायरिए नाराहेइ, समणे यावि तारिसो / गिहत्था वि णं गरहंति, जेण जाणंति तारिसं // 40 // 254. एवं तु अगुणप्पेही, गुणाणं च विवज्जए / तारिसो मरणं ते वि, नाऽऽराहेइ संवरं // 41 // 255. तवं कुब्बइ मेहावी पणीयं वज्जए रसं / मज्ज-प्पमाय-विरओ, तबस्सी अइ उक्कसो // 42 // 256. तस्स पस्सह कल्लाणं अणेगसाहपूइयं। विउलं प्रत्थसंजुत्तं कित्तइस्सं सुणेह मे // 43 // 257. एवं तु गुणप्पेहीx अगुणाणं+ विवज्जए। तारिसो मरणते वि आराहेइ संवरं // 44 // 258. आयरिए आराहेइ समणे यावि तारिसो / गिहत्था वि णं पूयंति जेण जाणंति तारिसं // 45 // 259. तवतेणे वइतेणे रूवतेणे य जे नरे / प्रायार-भावतेणे य कुम्वई देवकिविसं // 46 // 260. लद्ध ण वि देवत्तं, उववन्नो देवकिदिवसे / / तत्थावि से न याणाइ कि मे किच्चा इमं फलं ? // 47 / / 261. तत्तो वि से चइत्ताणं लम्भिही एलमूयगं / नरयं तिरिक्खजोणि वा, बोही जत्थ सुदुल्लहा // 48 // 262. एयं च दोसं दट्टणं नायपुत्तेण भासियं / अणुमायं पि मेहावी मायामोसं विवज्जए // 49 // [246] अपने संयम (यश) की सुरक्षा करता हुआ भिक्षु सुरा (मदिरा), मेरक या अन्य किसी भी प्रकार का मादक रस आत्मसाक्षी से (या केवली भगवान् की साक्षी से) न पीए / / 36 / / पाठान्तर-x एवं तु स गुणप्पेही। [लब्भइ। + अगुणाणं च विवज्जए / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org