SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 207
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ चतुर्थ अध्ययन : षड्जीवनिका] [125 निष्कर्ष यह है कि शरीरावयवों या धर्मोपकरणों पर स्थित सजीवों की रक्षा के लिए उन्हें निरुपद्रव स्थान में यतनापूर्वक रख देना चाहिए / अयतना से पापकर्म का बन्ध और यतना से प्रबन्ध 55. अजयं चरमाणो उ, पाण-भूयाइं हिंसई। बंधई पाक्यं कम्म, तं से होइ कडुयं फलं // 24 / / 56. अजयं चिट्ठमाणो उ, पाण-भूयाइं हिसई।। बंधई पावयं कम्म, तं से होइ कडुयं फलं // 25 // 57. अजयं प्रासमाणो उ, पाण-भूयाई हिसई। बंधई पावयं कम्म, तं से होइ कडुयं फलं // 26 // 58. अजयं सयमाणो उ, पाण-भूयाई हिसई / बंधई पावयं कम्म, तं से होइ कडुयं फलं // 27 // 59. अजयं भुजमाणो उ, पाण-भूयाई हिंसई / बंधई पावयं कम्म, तं से होइ कडुयं फलं // 28 // 60. अजयं भासमाणो उ, पाण-भूयाई हिंसई / बंधई पावयं कम्म, तं से होइ कडुयं फलं // 29 // 61. प्र. कहं चरे ? कहं चिठे ? कहमासे ? कहं सए ? ___कहं भुजंतो मासंतो पावं कम्मं न बंधई ? // 30 // 62 उ. जयं चरे, जयं चिट्ठे, जयमासे, जयं सए। जयं भुजंतो भासंतो, पावं कम्मं न बंधई // 31 // 63. सम्वभूयऽप्पभूयस्स सम्मं भूयाई पासो। पिहियासवस्स दंतस्स पावं कम्मन बंधई // 32 // 94. अग. चूणि, पृ. 91; जिन. चूणि, पू. 158; हारि० वृत्ति, पत्र 156 + तुलना कीजिए-कधं चरे कधं चिट्ठ कधमासे कधं सये। कधं भजेज्ज भासिज्ज, कधं पावं ग बज्झदि ? // 1012 / / जदं चरे जदं चिट्ठ जदमासे जदं सये।। जदं भुजेज्ज भासेज्ज, एवं पावं ण बज्झई // 1013 / / यत तु चरमाणस्स, दयापेहुस्स भिक्खुणो। णब ण बज्झदे कम्म पोराणं च विधयदि // 1014 / / -मूलाचार (समयसाराधिकार-१०) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003497
Book TitleAgam 29 Mool 02 Dasvaikalik Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorShayyambhavsuri
AuthorMadhukarmuni, Shobhachad Bharilla, Pushpavati Mahasati
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1985
Total Pages535
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy