________________ तीन गुप्ति तीन शल्य तीन गौरव तीन विराधना चार कषाय चार संज्ञा चार विकथा चार ध्यान पांच क्रिया पांच कामगुण पांच महाव्रत पांच समिति छह जीवनिकाय छह लेक्ष्या सात भयस्थान पाठ मदस्थान नौ ब्रह्मचर्य गुप्ति दस श्रमणधर्म ग्यारह उपासकप्रतिमा बारह भिक्षुप्रतिमा तेरह क्रियास्थान चौदह भूतग्राम पन्द्रह परमाधार्मिक सोलह गाथाषोडशक सत्रह असंयम अठारह अब्रह्मचर्य उन्नीस ज्ञातासूत्र-अध्ययन बीस असमाधिस्थान इक्कीस शबलदोष बाईस परीषह तेईस सूत्रकृतांग अध्ययन चौबीस देव पच्चीस भावना छब्बीस दशाश्रुतस्कन्ध, बृहत्कल्प, व्यवहारसूत्र त्रयी के छब्बीस अध्ययन [2] Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org