________________ चोची शा] [21 6. ५०-से कि तं मइसंपया ? उ.-मइसंपया चम्विहा पण्णत्ता, तं जहा 1. उग्गहमइसंपया, 2. ईहामइसंपया, 3. अवायमइसंपया, 4. धारणामइसंपया। (1) ५०-से कि तं उग्गहमइसंपया ? उ०-उग्गहमइसंपया छव्विहा पण्णत्ता, तं जहा 1. खिप्पं उगिण्हेइ, 2. बहुं उगिण्हेइ, 3. बहुविहं उगिण्हेइ, 4. धुवं उगिण्हेइ, 5. अणिस्सियं उगिण्हेइ, 6. असंदिद्धं उगिण्हेइ / से तं उग्गहमइसंपया। (2) एवं ईहामई वि। (3) एवं अवायमई वि। (4) ५०-से किं तं धारणामइसंपया ? उ.-धारणामइसंपया छविहा पण्णत्ता, तं जहा१. बहुं धरेइ, 2. बहुविहं धरेइ, 3. पोराणं धरेइ, 4. दुद्धरं धरेइ, 5. अणिस्सियं धरेइ, 6. असंविद्धं धरेइ / से तं धारणामइसंपया। से तं मइसंपया। 7. ५०-से कि तं पओगमइसंपया? उ०-पओगमइसंपया चउम्विहा पण्णत्ता, तं जहा 1. प्रायं विदाय वायं पउंज्जित्ता भवइ, 2. परिसं विदाय वायं पउंज्जित्ता भवइ, 3. खेत्तं विदाय वायं पज्जित्ता भवइ, 4. वत्थु विदाय वायं पउंज्जित्ता भवइ / से तं पओगमइसंपया। 8. प०-से कि तं संगहपरिण्णा णामं संपया ? उ०-संगहपरिणा णाम संपया चउन्विहा पण्णता, तं जहा 1. बहुजणपाउग्गयाए वासावासेसु खेत्तं पडिलेहित्ता भवइ, 2. बहुजणपाउम्गयाए पाडिहारिय-पीढ-फलग-सेज्जा-संथारयं उमिण्हित्ता भवइ, 3. कालेणं कालं समाणइत्ता भवइ, 4. अहागुरु संपूएत्ता भवइ / से तं संगहपरिण्णासंपया। अर्थ-हे आयुष्मन् ! मैंने सुना है उन निर्वाणप्राप्त भगवान महावीर ने ऐसा कहा है-इस आईतप्रवचन में स्थविर भगवन्तों ने आठ प्रकार की गणिसम्पदा कही है। प्र०-हे भगवन् ! वह पाठ प्रकार की गणिसम्पदा कौन-सी कही गई हैं ? उ०-आठ प्रकार की गणिसम्पदा ये कही गई हैं / जैसे 1. प्राचारसम्पदा, 2. श्रुतसम्पदा, 3. शरीरसम्पदा, 4. वचनसम्पदा, 5. वाचनासम्पदा, 6. मतिसम्पदा, 7. प्रयोगमतिसम्पदा, 8, आठवीं संग्रहपरिज्ञासम्पदा / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org