________________ 8.] [दशाभूतस्कन्धः सत्तावीसवें स्थान में वशीकरण योग से किसी को परवश करके दुःखी करने को, अट्ठावीसवें स्थान में अत्यधिक कामवासना को, उनतीसवें स्थान में देवों का अवर्णवाद बोलने को महामोहनीय कर्मबंध का कारण कहा गया है। मुमुक्षु साधक ऐसे कुकृत्यों को जानकर उनका त्याग करे / यदि पूर्व में इनका सेवन किया हो तो उनकी आलोचना आदि करके शुद्धि कर ले। महामोहनीय कर्मबन्ध के इन स्थानों से विरत रहने वाला इस भव में यशस्वी होता है और परभव में सुगति प्राप्त करता है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org