________________ [वशाभुतस्कन्ध पंचमासिको भिक्षुप्रतिमा पंचमासियं भिक्खुपडिमं पडियन्नस्स अणगारस्स जाव आणाए अणपालित्ता भवइ / णवरं पंच दत्तिओ भोयणस्स पडिगाहेत्तए, पंच पाणस्स। पांच मास की भिक्षुप्रतिमाप्रतिपन्न अनगार के द्वारा यावत् वह प्रतिमा जिनाज्ञानुसार पालन की जाती है। विशेष यह है कि उसे प्रतिदिन भोजन की पांच दत्तियां और पानी की पांच दत्तियां ग्रहण करना कल्पता है। पाण्मासिको भिक्षुप्रतिमा छमासियं भिक्खुपडिमं पडिवनस्स अणगारस्स जाव प्राणाए अणुपालिता भवइ / णवरं छ दत्तोपो भोयणस्स पडिगाहेत्तए, छ पाणस्स। छह मास की भिक्षुप्रतिमाप्रतिपन्न अनगार के द्वारा यावत् वह प्रतिमा जिनाज्ञानुसार पालन की जाती है। विशेष यह है कि उसे प्रतिदिन भोजन की छह दत्तियां और पानी की छह दत्तियां ग्रहण करना कल्पता है। सप्तमासिकी भिक्षुप्रतिमा सत्तमासियं भिक्खुपडिमं पतिवन्नस्स प्रणगारस्स जाव आणाए अणुपालित्ता भवइ / णवरं सत्त दत्तीओ भोयणस्स पडिगाहेत्तए, सत्त पाणस्स / सात मास की भिक्षुप्रतिमाप्रतिपन्न अनगार के द्वारा यावत् वह प्रतिमा जिनाज्ञानुसार पालन की जाती है। विशेष यह है कि उसे प्रतिदिन भोजन की सात दत्तियां और पानी को सात दत्तियां ग्रहण करना कल्पता है। प्रथम सप्तअहोरात्रिकी भिक्षुप्रतिमा पढमं सत्तराइंदियं भिक्खुपडिमं पडियन्नस्स अणगारस्स जाव अहियासेज्जा। कप्पइ से चउत्थेणं भत्तेणं अपाणएणं बहिया गामस्स वा जाव रायहाणीए वा उत्ताणस्स वा, पासिल्लगस्स वा, नेसिज्जयस्स वा ठाणं ठाइत्तए। तत्थ से दिव्वमाणुस्सतिरिक्खजोणिया उवसग्गा समुप्पज्जेज्जा, ते णं उपसग्गा पयलेज्ज वा, पवडेज्ज वा, णो से कप्पइ पयलित्तए वा पवडित्तए वा। तत्थ णं उच्चारपासवणेणं उम्बाहिज्जा, णो से कप्पइ उच्चारपासवणं उगिण्हित्तए वा, णिगिहित्तए वा कप्पइ से पुवपडिलेहियंसि थंडिलंसि उच्चारपासवणं परिटुवित्तए, अहाविहिमेव ठाणं ठाइत्तए। एवं खलु एसा पढमा सत्तराईविया भिक्खुपडिमा प्रहासुत्तं जाव आणाए अणपालिता भवइ / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org