________________ वर्ग 1: प्रथम अध्ययन] [39 'गोयमा, महाविदेहे वासे जाई कुलाई भवन्ति अड्डाइं जहा दढपइन्नो [जाव] सिमिहिइ बुझिहिइ [जाव] अन्तं काहिई। 'तं एवं खलु जम्बू ! समणेणं भगवया जाव संपत्तेणं निरयावलियाणं पढमस्स अज्यणस्स अयमढे पन्नतें'। / / पढमं अज्झयणं समतं // 1 // 34] गौतम स्वामी ने पुनः प्रश्न किया--भदन्त ! वह कालकुमार चौथी पृथ्वी से निकलकर कहाँ जाएगा? कहाँ उत्पन्न होगा? ( भगवान्-) गौतम ! महाविदेह क्षेत्र में जो प्राढ्य कुल हैं उनमें जन्म लेकर दृढ़प्रतिज्ञ के समान सिद्ध, बुद्ध, मुक्त, यावत परिनिर्वाण को प्राप्त होगा और समस्त दुःखों का अंत करेगा। _श्री सुधर्मा स्वामी ने कहा-'इस प्रकार आयुष्मन् जम्बू ! श्रमण भगवान् यावत् निर्वाण को प्राप्त महावीर ने निरयावलिका के प्रथम अध्ययन का यह प्राशय प्रतिपादन किया है / // प्रथम अध्ययन समाप्त / / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org