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________________ ने सन् 1954 में 32 आगमों के साथ इन आगमों का भी प्रकाशन करवाया। इस तरह निरयावलिका और शेष उपांगों का समय-समय पर प्रकाशन हुआ है। प्रस्तुत संस्करण श्रमणसंघीय युवाचार्य मधुकर मुनिजी महाराज के कुशल नेतृत्व में आगम प्रकाशन समिति ब्यावर द्वारा 32 आगमों के प्रकाशन का महान कार्य चल रहा है। इस आगम प्रकाशन माला से अभी तक अनेक प्रागम विविध विद्वानों के द्वारा संपादित होकर प्रकाशित हो चुके हैं। जिन आगमों की मूर्धन्य मनीषियों ने मुक्त कंठ से प्रशंसा की है, उसी पागम माला के प्रकाशन की कड़ी की लड़ी में निरयावलिका, कल्पावत सिका, पुष्पिका, पुष्पचुला और वृष्णिदशा इन पांचों उपागों का एक जिल्द में प्रकाशन हो रहा है। इसमें शुद्ध मूलपाठ है, अर्थ है और परिशिष्ट हैं। इसके अनुवादक और संपादक हैं-श्री देवकुमार जैन, जो पहले अनेक ग्रन्थों का संपादन कर चुके हैं। संपादन का श्रम यत्र-तत्र मुखरित हुआ है। साथ ही संपादनकलामर्मज्ञ, लेखन-शिल्पी पंडित शोभाचन्दजी भारिल्ल की सूक्ष्म-मेधा-शक्ति का चमत्कार भी हगोचर होता है। प्रस्तावना लिखते समय स्वास्थ्य सम्बन्धी अनेक व्यवधान उपस्थित हुए जिनके कारण चाहते हुए भी अधिक विस्तृत प्रस्तावना मैं नहीं लिख सका। इस प्रागम में ऐसे अनेक जीवन-बिन्दु हैं जिनकी तुलना अन्य ग्रन्थों के साथ सहज की जा सकती है। इन आगमों में भगवान महावीर, भगवान पार्श्व और भगवान् अरिष्टनेमि के युग के कुछ पात्रों का निरूपण है। तथापि संक्षेप में कुछ पंक्तियाँ लिख गया है। आशा है जिज्ञासुमों के लिये ये पंक्तियाँ सम्बल रूप में उपयोगी होंगी। परम श्रद्धय राजस्थानकेसरी अध्यात्मयोगी उपाध्याय पूज्य गुरुदेव श्री पुष्करमुनिजी महाराज के हार्दिक आशीर्वाद के कारण ही आगम साहित्य में अवगाहन करने के सुनहरे क्षण प्राप्त हुए हैं, जिसे मैं अपना सौभाग्य मानता हूँ। आशा ही नहीं अपितु दृढ़ विश्वास है कि पूर्व प्रागमों की तरह ये पागम भी पाठकों के लिये प्रकाश-स्तम्भ की तरह उपयोगी सिद्ध होंगे। --- देवेन्द्रमुनि शास्त्री जन स्थानक मदनगंज दि. 6-11-83 [27] Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003487
Book TitleAgam 19 Upang 08 Niryavalika Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1985
Total Pages178
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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