________________ परिशिष्ट 1] [127 रुप्पामए ओलम्बणदीवे, मट्ठ सुबष्णरुप्पामए ओलम्बणदीवे, पट्ट सोवणिम उपकञ्चणदीधे, अट्ठ पञ्जरदीवे, एवं चेव तिणि वि, अट्ट सोवणिए थाले, रुप्पामए थाले, अटु सुवण्णरुप्पमए थाले, अट्ठ सोवणियाओ पत्तीओ 3, प्र? सोवणियाई थासयाई 3, अट्ठ सोवणियाई मल्लगाइं 3, प्रद सोयपिणयाओ तालियाओ 3, अट्ट सोवणियाओ कावइआओ 3, अट्ट सोवण्णिए प्रवएडए 3, अट्ट सोवणियाओ अवयवकाओ 3. प्रट सोवण्णिए पायपीढए 3, अट्र सोयरिणयाओ मिसियानो 3, प्रद सोवणियानो करोडियानो 3, अट्ट सोवण्णिए पल्लंके 3, अट्ट सोयण्णियाप्रो पडिसेज्जाओ 3, अटू हंसासणाई कोउचासणाई, एवं अट्ठ गर लासणाई, उन्नयासणाई, पणयासणाई, दोहासणाई, भद्दासणाई, पक्खासणाई, मगरासणाई, अटु पउमासणाई, अट्ट दिसासोवत्थियासणाई, अट्ट तेल्लसमुग्गे, जहा रायप्पसेणइज्जे, जाव भट्ट सरिसवसमुन्गे, अट्ठ खुज्जाओ, जहा उववाइए, जाव अट्ठ पारिसीओ, अट्ठ छत्ते, अट्ठ छत्तधारीओ चेडीओ, अट्ठ चामराश्रो, अट्ठ चामरधारीओ चेडीओ, अट्ठ तालियण्टे, अट्ट तालियष्टधारीयो चेडीओ, भट्ट करोडियाधारीओ चेडीमो, अट्ठ खीरधाईओ, नाव अढ अङ्कधाईओ, अट्ट अङ्गमहियाओ, अट्ठ पहावियाओ, अट्ठ पसाहियाओ, अट्ठ वण्णगपेसीओ, अट्ट चुण्णगपेसीग्रो, अट्ठ कोट्ठागारोमो, अट्ठ देवकारीओ, अट्ठ उवस्थाणियाओ, अट्ठ नाडइज्जाओ, अट्ट कोडुम्बिणीओ, अट्ठ महाणसिणीमो, अट्ठ भाण्डागारिणीओ, अट्ट अज्झाधारिणीथ्रो, अट्ठ पुप्फधारिणीओ, अट्ठ पाणिधारिणीओ, अट्ठ बलिकारीओ, अट्ट सेज्जाकारीओ, अट्ठ अभिन्तरियाओ पडिहारीओ, अट्ठ वाहिरियानो पडिहारीओ, घटु मालाकारीओ, अट्ठ पेसणकारीनो अन्नं वा सुबहुं हिरणं वा कंसं वा दूसंवा विउलघणकणग जाव सन्तसारसावएज्जं, अलाहि जाव आसत्तमाओ कुलधंसाओ पकामं दाउं पकामं मोत्तु पकाम परिभाए। तए णं से महम्बले कुमारे एगमेगाए मज्जाए एगमेगं हिरण्णकोडिं दलयइ, एगमेगं सुवण्णकोडि दलयइ, एगमेगं मउडं मउडप्पवरं दलथइ, एवं तं चेव सव्वं जाव एगमेगं पेसणकारि दलयइ, अन्नं वा सुबहुं हिरण्णं वा जाव परिभाएउ / तए णं से महम्बले कुमारे उप्पि पासायवरगए जहा जमाली जाव विहरइ / [23] तब माता-पिता ने उस महाबल कुमार को यह और इस प्रकार प्रीतिदान दिया--- आठ कोटि हिरण्य (चांदी की) मुद्राएं, पाठ कोटि स्वर्ण मुद्राएं, आठ श्रेष्ठ मुकुट, पाठ श्रेष्ठ कुंडलयुगल, पाठ श्रेष्ठ हार, पाठ उत्तम अर्ध हार, पाठ उत्तम एकावली हार, इसी प्रकार पाठ मुक्तावली, कनकावली, रत्नावली, पाठ उत्तम कटक युगल, त्रुटित युगल (बाजूबन्दों की जोड़ी), उत्तम आठ क्षीम युगल (रेशमी वस्त्रों की जोड़ी)। इसी प्रकार वटक युगल (वस्त्र विशेष की जोड़ी) पाठ उत्तम सूती वस्त्र-युगल, आठ दुकूल युगल, पाठ श्री, आठ ह्री, पाठ-आठ घृति, कीर्ति, बुद्धि, एवं लक्ष्मी की प्रतिकृतियाँ, पाठ नन्द, पाठ भद्र, पाठ उत्तम तल ताड़ वृक्ष दिए, जो सभी रत्न निर्मित थे। अपने उत्तम भवन की केतु (चिह्न) रूप पाठ श्रेष्ठ ध्वजा, दस हजार गायों के एक ब्रज के हिसाब से पाठ ब्रज-गोकुल, बत्तीस मनुष्यों द्वारा किए जाने वाले एक नाटक के हिसाब से पाठ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org