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________________ 124] [महाबल गणियावरनाडइज्जकलियं अणगतालाचराणुचरियं अणु यमुइङ्ग अमिलायमल्लदामं पमुहयपक्कीलियं सपुरजणजाणवयं दसदिवसे ठिइवडियं करेइ / तए णं ते बले राया वसाहियाए ठिइवडियाए वट्टमाणीए सइए य साहस्सिए सयसाहस्सिए य जाए य दाए य भाए य दलमाणे य दवावमाणे य, सए य साहस्सिए य लम्भमाणे पडिच्छमाणे पडिच्छावेमाणे एवं विहरइ। __ [18] तत्पश्चात् बल राजा ने कौटुम्बिक पुरुषों को बुलाया और बुलाकर उनको यह आज्ञा दी-देवानुप्रियो ! हस्तिनापुर नगर में कारागृह से बंदियों को मुक्त करो और मान-उन्मान (मापतोल) की वृद्धि करो। हस्तिनापुर नगर को भीतर और बाहर छिड़काव कर, बुहारकर, साफ-स्वच्छ करो और करवानो / पूजा महिमा और सत्कार के लिए यूप सहस्रों और चक्र सहस्रों को सजानो और मुझे कार्य होने की सूचना दो। तब उन कौटुम्बिक पुरुषों ने बल राजा के इस आदेश को सुनकर हर्षित हो यावत् वापस कार्य पूर्ण होने की सूचना दी। तत्पश्चात् बल राजा व्यायामशाला में पाया इत्यादि पूर्ववत् स्नानगृह से निकला / फिर दस दिन तक नि:शुल्क (मूल्य न लेना) कर मुक्त, क्रय-विक्रय, मान-उन्मान का बर्द्धन, ऋण मुक्त धरणा देने का निषेध, घर में सभटों का प्रवेश निषेध कर तथा अनेक गणिकानों के नत्य-गान अनेक तालानुचरों द्वारा निरंतर बजाए जा रहे मृदंगों के साथ अम्लान मालाओं द्वारा नगर को विभूषित करते हुए नगरवासी और देशवासी जनों सहित स्थितिपतिका महोत्सव-पुत्रजन्मोत्सव मनाया। इस दस दिवसीय पुत्र-जन्मोत्सव में बल राजा ने सैकड़ों-हजारों-लाखों रुपये व्यय करते हुए, देते हए. दिलवाते हए एवं इसी प्रकार सैकड़ों हजारों और लाखों रुपयों की भेंट उपहार में लेते और देते हुए समय व्यतीत किया। 19. तए णं तस्स दारगस्स अम्मापियरो पढमे दिवसे ठिइवडियं करेइ, तइए दिबसे चन्दसूरदंसणियं करेइ, छ? दिवसे जागरियं करेइ, एक्कारसमे दिवसे वीइक्कन्ते निव्वुत्ते असुइजायकम्मकरणे, संपत्ते बारसाहदिवसे विउलं असणं पाणं खाइमं साइमं उवक्खडावेन्ति, 2 ता जहा सिवो, जाव खत्तिए य आमन्तेन्ति, 2 ता तओ पच्छा हाया कय० तं चेव जाव सक्कारेन्ति संमाणेन्ति, २त्ता तस्सेव मित्तणाइ जाव राईण य खत्तियाण य पुरओ अज्जयपज्जयपिउपज्जयागयं बहुपुरिसपरंपरप्परूढ कुलाणुरूवं कुलसरिसं कुलसंताणतन्तुवद्धणकरं अयमेयारूवं गोण्णं गुणनिप्फन्नं नामधेज्ज करेन्ति-'जम्हा णं अम्हं इमे दारए बलस्स रन्नो पुस्ते पभावईए देवीए असए; तं होउ णं अम्हं एयस्स दारगस्स नामधेज्जं महब्बले / ' तए णं तस्स दारगस्स अम्मापियरो नामधेज्जं करेन्ति 'महम्बले ति // _ [19] तत्पश्चात् उस दारक के माता-पिता ने पहले दिन स्थितिपतिका की / तीसरे दिन बालक को सूर्य-चन्द्र का दर्शन कराया। छठे दिन जागरणरूप उत्सव विशेष किया और ग्यारह Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003487
Book TitleAgam 19 Upang 08 Niryavalika Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1985
Total Pages178
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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