________________ द्वितीय वक्षस्कार [35 5. जोतिषिक-उद्योतकारक, 6. चित्रांग-माला आदि प्रदायक, 7. चित्ररस-विविध प्रकार का रस देने वाले, 8. मण्यंग-आभूषण प्रदान करने वाले, 6. गेहाकार-विविध प्रकार के गृह-निवासस्थानप्रदाता, 10. अनग्न---वस्त्रों की आवश्यकतापूत्ति करने वाले। मनुष्यों का आकार-स्वरूप 28. तोसे णं भंते ! समाए भरहे वासे मणुआण केरिसए पायारभावपडोयारे पण्णते? __ गोयमा ! ते णं मणुआ सुपइट्ठियकुम्मचारुचलणा, (रत्तुप्पलपत्तमउअसुकुमालकोमलतला, णगणगरमगरसागरचक्कंकवरंकलक्खणंकिअचलणा, अणुपुब्वसुसाहयंगुलीया, उष्णयतणुतंबणिद्धणक्खा, संठिअसुसिलिट्ठगूढगुप्फा, एणोकुरुविंदावत्तवट्टाणुपुत्वजंघा, समुग्गनिमगगूढजाणू, गयससण-सुजायसण्णिभोरू, बरवारणमत्ततुल्लविक्कमविलासिअगई, पमुइअवरतुरगसीहवरवट्टिअकडी, वरतुरगसुजायगुज्झदेसा, प्राइण्णयन्वनिरुवलेवा, साहयसोणंदमुसलदप्पण-णिगरिअवरकणगच्छरुसरिसवरवइरबलिअ-मज्झा, झसविगसुजस्य-पीणकुच्छी, झसोअरा, सुइकरणा, गंगावत्तपयाहिणावत्ततरंगभंगुरविकिरणतरुणबोहिमाकोसायंतपउमगंभीरविअडणाभा, उज्जुअ-समसंहिअजच्च-तणु-कसिण-णिद्धआदेज्ज-लडह-समाल-मउअ-रमणिज्ज-रोमराई, संणयपासा, संगयपासा, सुदरपासा, सुजायपासा, मिअमाइअ-पीणरइअ-पासा, अकरंडुअकणगरुअगणिम्मल-सुजाय-णिरुवय-देहधारी, पसत्थवत्तीसलक्खणधरा, कणगसिलायलुज्जल-पसत्थ-समतल-उवइअ-विच्छि (त्थि) ण्ण-पिहलवच्छा,सिरिवच्छंकियबच्छा, जुअसण्णिभपीणरइअ-पीवरपउनुसंठियसुसिलिट्ठ-विसिट्ठ-घण-थिरसुबद्धसंधिपुरवर-वरफलिहबट्टिअ-भुजा, भुजगोसर-विउल-भोगआयाणफलिहउच्छू ढ-दोहबाहू, रत्ततलोवइअमउग्रमंसलसुजायपसत्थलक्खणच्छिद्दजालपाणी, पीवरकोमलवरंगुलीमा, आयंब-तलिण-सुइ-रुइल-णिद्धणक्खा, चंदपाणिलेहा, सूरपाणिलेहा, संखपाणिलेहा, चक्कपाणिलेहा, दिसासोवत्थियपाणिलेहा, चंद-सूर-संखचक्क-दिसासोवत्थियपाणिलेहा, अणेग-वर-लक्खणुत्तम-पसत्थ-सुरइअ-पाणिलेहा, वरमहिस-बराहसीहसद्द लउसहणागवर-पडिपुण्णविपुलखंधा, चउरंगुल-सुप्पमाण-कंबुवरसरिस-गोवा, मंसलसंठिन-पसत्थसदूलविपुलहणुआ, प्रवद्विअ-सुविभत्तचित्तमंसू, प्रोअविनसिलप्पवाल-बिबफल-सणिभाधरोदा, पंडुरससि-सगलविमल-मिम्मल-संख-गोखीर-फेणकुददगरय-मुणालिआधवल-दंतसेढी,प्रखंडदंता,प्रफुडिअदंता, अविरलदंता, सुणिद्धदंता, सुजायदंता, एगदंतसेढीव अणेगदंता, हुअवह-णिद्धतधोअतत्ततवणिज्जरत्ततलतालुजोहर, गरुलायत-उज्जु-तुंग-णासा, अवदालिअ-पोंडरीकणयणा, कोआसियधवलपत्तलच्छा, आणामिअ-चाब-रुइलकिण्हाभराइसंठियसंगयआयय-सुजायतणुकसिणणिद्धभुमश्रा, अल्लीणपमाणजुत्तसवणा, सुस्सवणा, पोणमंसलकवोलदेसभागा, णिव्वण-सम-लट्ठमट्ठ-चंदद्धसम-णिलाडा, उडवइपडिपुण्ण-सोमवयणा, घण-णिचिअसुबद्ध-लक्खणुग्णयकूडागारणिपिडिग्गसिरा, छत्तागारुत्तमंगदेसा, दाडिमपुष्फ-पगास-तवाणिज्जसरिस-णिम्मल-सुजाय-केसंतभूमी, सामलिबोंड-घण-णिचिअच्छोडिस Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org