________________ द्वितीय वक्षस्कार भरतक्षेत्र : काल-वर्तन 24. जंबुद्दोवे गं भंते ! दीवे भारहे वासे कतिविहे काले पण्णत्ते ? गोयमा ! दुविहे काले पण्णते, तं जहा-ओसप्पिणिकाले अ उस्सप्पिणिकाले प्र। प्रोसप्पिणिकाले णं भंते ! कतिविहे पण्णते? गोयमा ! छविहे पण्णत्ते, तं जहा-सुसमसुसमाकाले 1, सुसमाकाले 2, सुसमदुस्समाकाले 3, दुस्समसुसमाकाले 4, दुस्समाकाले 5, दुस्समदुस्समाकाले 6 / उस्सप्पिणिकाले णं भंते ! कतिविहे पण्णते? गोयमा ! छविहे पण्णत्ते, तंजहा–दुस्समदुस्समाकाले 1, (दुस्समाकाले 2, दुस्समसुसमाकाले 3, सुसमदुस्समाकाले 4, सुसमाकाले 5, सुसमसुसमाकाले 6 / ) एगमेगस्स णं भंते ! मुहुत्तस्स केवइया उस्सासद्धा विआहिआ? गोयमा ! असंखिज्जाणं समयाणं समुदयसमिइसमागमेणं सा एगा आवलिभत्ति वुच्चा, संखिज्जाश्रो पावलिआओ ऊसासो, संखिज्जालो आवलिआमो नीसासो, हट्ठस्स अणवगल्लस्स, णिस्वकिट्ठस्स जंतुणो। एगे ऊसासनीसासे, एस पाणत्ति वुच्चई // 1 // सत्त पाणूई से थोवे, सत्त थोवाइं से लवे / लवाणं सत्तहत्तरीए, एस मुहुत्तेत्ति प्राहिए // 2 // तिणि सहस्सा सत्त य, सयाई तेवरिं च ऊसासा / एस मुत्तो भणिओ, सम्वेहि अणंतनाणोहिं // 3 // एएणं मुहुत्तप्पमाणेणं तीसं मुहुत्ता अहोरत्तो, पण्णरस अहोरत्ता पक्खो, दो पक्खा मासो, दो मासा उऊ, तिणि उऊ अयणे, दो अयणा संवच्छरे, पंचसंवच्छरिए जुगे, वीसं जुगाई वाससए, दस वाससयाई वाससहस्से, सयं वाससहस्साणं वाससयसहस्से, चउरासीइं वाससयसहस्साइं से एगे पुष्वंगे, चउरासीह पुव्वंगसयसहस्साई से एगे पुग्वे, एवं विगुणं विगुणं अव्वं; तुडिअंगे, तुडिए, अडडंगे, अडडे, अववंगे, अववे, हुहुअंगे, हुहुए, उप्पलंगे, उप्पले, पउमंगे, पउमे, गलिणंगे, णलिणे, अत्थणिउरंगे, अत्थणिउरे, अजुअंगे, अजुए, नजुअंगे, नजुए, पजुअंगे, पजुए, चूलिअंगे, चूलिए, सीसपहेलिअंगे, सीसपहेलिए, जाव चउरासीई सोसपहेलिअंगसयसहस्साई सा एगा सीसपहेलिया। एताव ताव गणिए, एताव ताव गणिअस्स विसए, तेणं परं ओवमिए / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org