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________________ प्रकाशकीय आगमप्रेमी पाठकों के करकमलों में ग्रन्थमाला के 26 वें अंक के रूप में जम्बुद्वीपप्रज्ञप्तिसूत्र प्रस्तुत किया जा रहा है। इस पागम का प्रधान प्रतिपाद्य विषय इसके नाम से ही स्पष्ट है। इसमें जम्बूद्वीप आदि से सम्बद्ध भौगोलिक वर्णन विस्तारपूर्वक दिया गया है। साथ ही इस क्षेत्र से सम्बद्ध अन्यान्य विषयों पर भी विशद प्रकाश डाला गया है। भरत चक्रवर्ती के भरतक्षेत्र के विजय अभियान का जैसा विशद वर्णन प्रस्तुत प्रागम में चित्रित किया गया है, वह असाधारण है और जिज्ञासु जनों को अवश्य पठनीय है। संक्षेप में प्रस्तुत आगम अनेकानेक विशिष्ट और महत्त्वपूर्ण विषयों का बोध कराने वाला है। इस आगम का सम्पादन और अनुवाद प्रसिद्ध विद्वान् डॉ. छगनलालजी शास्त्री, एम. ए., पी-एच.डी. ने किया है। व्याख्याप्रज्ञप्तिसूत्र (चतुर्थ खण्ड) की भाँति प्रस्तुत जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिसूत्र भी आगमप्रकाशन-समिति के पूर्व अध्यक्ष स्वर्गीय समाजनायक, धर्मनिष्ठ, श्रेष्ठिवर्य माननीय श्री मोहनमलजी सा. चोरडिया, मद्रास के आर्थिक सहयोग से प्रकाशित किया जा रहा है। अतिशय खेद का विषय है कि हम अापकी मौजूदगी में ही आपके सहयोग से इन प्रागमों को प्रकाशित न कर पाए, तथापि आशा करते हैं कि इन प्रकाशनों से उनकी स्वर्गस्थ आत्मा को अवश्य परितोष प्राप्त होगा। प्रस्तुत आगम के अनुवाद का परमविदुषी अध्यात्मसाधिका महासती श्री उमरावकुवरजी म. ने अवलोकन करके जो अमूल्य सहकार प्रदान किया है, उसके लिए हम अत्यन्त आभारी हैं। स्वास्थ्य अनुकूल न होते हुए भी और अन्य अनेक महत्त्वपूर्ण उत्तरदायित्वों को वहन करते हए भी आपने अवलोकन के लिए समय दिया है, यह आपकी महती श्रुतभक्ति का जीता-जागता निदर्शन है। साहित्यवाचस्पति विद्वद्वर्य श्री देवेन्द्र मुनिजी म. शास्त्री का प्रस्तावना-लेखन के रूप में प्रारंभ से ही हमें अतिशय महत्त्वपूर्ण सहयोग प्राप्त रहा है। जैसा कि हम पहले भी निवेदन कर चुके हैं, आपका यह सहयोग विना अन्तराल-लगातार द्रुत गति से आगमप्रकाशन के इस पावन कार्य में सहायक रहा है। मुनिश्री गहरी रुचि के साथ विस्तारपूर्वक जो प्रस्तावनाएँ लिख रहे हैं, उनसे इस प्रकाशन के गौरव में वृद्धि हुई है / आपका आभार मानने के लिए शब्द पर्याप्त नहीं हैं। भविष्य में भी आपका ऐसा सहयोग प्राप्त होता रहेगा, ऐसा पूर्ण विश्वास है। अन्त में हम उन सभी अर्थसहायक महानुभावों और विद्वज्जनों के प्रति कृतज्ञता प्रकाशित करना अपना कर्तव्य मानते हैं, जिनसे विभिन्न रूपों में समिति को सहयोग प्राप्त हो रहा है। रतनचंद मोदी कार्यवाहक अध्यक्ष निवेदक सायरमल चोरडिया चांदमल विनायकिया प्रधानमंत्री मंत्री श्री आगम प्रकाशन समिति, ब्यावर (राजस्थान) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003486
Book TitleAgam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Chhaganlal Shastri, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1986
Total Pages480
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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