________________ सप्तम वक्षस्कार] [393 25. नक्षत्र अधिदेवता ज्येष्ठा इन्द्र 26. मूल निऋति 27. पूर्वाषाढा श्राप 28. उत्तराषाढा विश्वे (विश्वेदेव) अल्प, बहु, तुल्य 207. एतेसि णं भन्ते ! चंदिमसूरिप्रगहणक्खत्तताराख्वाणं कयरे कयरे हितो अप्पा वा बहुआ वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ? गोयमा! चंदिमसूरिया दुवे तुल्ला सम्वत्थोवा, णक्खत्ता संखेज्जगुणा, गहा संखेज्जगुणा, तारारूवा संखेज्जगुणा इति / [207] भगवन् ! चन्द्र, सूर्य, ग्रह, नक्षत्र तथा तारामों में कौन किनसे अल्प-कम, कौन किनसे बहुत, कौन किनके तुल्य-समान तथा कौन किनसे विशेषाधिक हैं ? गौतम ! चन्द्र और सूर्य तुल्य–समान हैं। वे सबसे स्तोक-कम हैं। उनकी अपेक्षा नक्षत्र संख्येय गुने--२८ गुने अधिक हैं। नक्षत्रों की अपेक्षा ग्रह संख्येय गुने कुछ अधिक तीन गुने'-८८ गुने अधिक हैं / ग्रहों को अपेक्षा तारे संख्येय गुने–६६६७५ कोडाकोड ' गुने अधिक हैं / तीर्थकरादि-संख्या 206. जम्बुद्दीवे णं भन्ते ! दो जहणपए वा उक्कोसपए वा केवइया तित्थयरा सम्वग्गेणं पण्णत्ता? गोयमा ! जहण्णपए चत्तारि उक्कोसपए चोत्तोसं तित्थयरा सव्वग्गेणं पण्णत्ता। जम्बुद्दीवे णं भन्ते ! दीवे केवइया जहण्णपए वा उक्कोसपए वा चक्कवट्टी सव्वग्गेणं पण्णत्ता? गोयमा ! जहण्णपदे चत्तारि उक्कोसपदे तीसं चक्कवट्टी सव्वग्गेणं पण्णता इति, बलदेवा तत्तिमा चेव जत्तिमा चक्कवट्टी, वासुदेवावि तत्तिया चेवत्ति / जम्बूद्दीवे दोवे केवइया निहिरयणा सव्वग्गेणं पण्णता? गोयमा ! तिणि छलुत्तरा णिहिरयणसया सव्वग्गेणं पण्णता, जम्बुद्दोवे दीवे केवइया णिहिरयणसया परिभोगत्ताए हव्वमागच्छंति ? गोयमा ! जहण्णपए छत्तीसं उक्कोसपए दोणि सत्तरा णिहिरयणसया परिभोगत्ताए हब्वमा. गच्छंति। जम्बहीवे णं भन्ते ! दीवे केवइया पंचिदिअरयणसया सव्वग्गेणं पण्णता? 1. श्री जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिसूत्र, शान्ति चन्द्रीया वृत्ति, पत्रांक 536 2. जम्बुद्वीपप्रज्ञप्तिमूत्र हिन्दी अनुवाद, श्री अमोलक ऋषि, पृष्ठ 617 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org