________________ वसु S 392] [जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिसूत्र तारा-विमान में देवों की स्थिति जघन्यपल्योपम तथा उत्कृष्ट पल्योषम होती है / ताराविमान में देवियों की स्थिति जघन्य पल्योपम तथा उत्कृष्ट कुछ अधिक है पल्योपम होती है / नक्षत्रों के अधिष्ठातृ-देवता 206. बह्मा विण्हू अ वसू, वरुणे अय वुड्डी पूस पास जमे / अग्गि पयावइ सोमे, सद्दे अदिती वहस्सई सप्पे // 1 // पिउ भगअज्जमसविश्रा, तट्ठा बाऊ तहेव इंदग्गी। मित्ते इंदे निरुई, पाऊ विस्सा य बोद्धम्वे // 2 // [206] नक्षत्रों के अधिदेवता अधिष्ठातृ-देवता इस प्रकार हैं नक्षत्र अधिदेवता अभिजित् ब्रह्मा श्रवण विष्णु धनिष्ठा शतभिषक वरुण पूर्वभाद्रपदा अज उत्तरभाद्रपदा वृद्धि (अभिवृद्धि) रेवती पूषा अश्विनी अश्व भरणी यम कृत्तिका अग्नि रोहिणी प्रजापति मृगशिर सोम आर्द्रा रुद्र पुनर्वसु अदिति पुष्य अश्लेषा सर्प मघा पिता पूर्व फाल्गुनी भग उत्तरफाल्गुनी अर्यमा हस्त सविता चित्रा त्वष्टा स्वाति वायु विशाखा इन्द्राग्नी अनुराधा मित्र ; as in Mor Moror Movor x si w g is w बृहस्पति oon is in x Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org