________________ 388] [जम्बूद्वीपप्राप्तिसूत्र 202. एतेसि णं भन्ते ! चंदिम-सूरिन-गह-णक्खत्त-तारारूवाणं कयरे सम्वमहिड्डिा कयरे सम्वप्पिजिना ? गोयमा ! तारास्वेहितो णक्खत्ता महिड्डिया, णक्खहितो गहा महिडिया, गहेहितो सूरिया महिड्डिया, सूरेहितो चंदा महिड्डिआ। सम्वपिडिमा तारारूवा सव्वमहिड्डिया चंदा। [202] गौतम ! इन चन्द्रों, सूर्यो, ग्रहों, नक्षत्रों तथा तारों में कौन सर्वमहद्धिक हैं सबसे अधिक ऋद्धिशाली हैं ? कौन सबसे अल्प-कम ऋद्धिशाली हैं ? गौतम ! तारों से नक्षत्र अधिक ऋद्धिशाली हैं, नक्षत्रों से ग्रह अधिक ऋद्धिशाली हैं, ग्रहों से सूर्य अधिक ऋद्धिशाली हैं तथा सूर्यों से चन्द्र अधिक ऋद्धिशाली है। तारे सबसे कम ऋद्धिशाली तथा चन्द्र सबसे अधिक ऋद्धिशाली हैं। एक तारे से दूसरे तारे का अन्तर 203. जम्बुद्दीवे णं भन्ते ! दीवे ताराए अ ताराए अ केवइए अबाहाए अंतरे पण्णत्ते ? गोयमा ! दुविहे-वाघाइए अनिवाघाइए / निवाघाइए जहण्णणं पंचधणुसयाई उक्कोसेणं दो गाऊपाई। वाघाइए जहण्णणं दोणि छावळे जोप्रणसए, उक्कोसेणं बारस जोअणसहस्साई दोणि अ बायाले जोअणसए तारारूवस्स 2 प्रबाहाए अंतरे पण्णत्ते / [203] भगवन् ! जम्बूद्वीप के अन्तर्गत एक तारे से दूसरे तारे का कितना अन्तर-फासला बतलाया गया है ? गौतम ! अन्तर दो प्रकार का है—१. व्याघातिक--जहाँ बीच में पर्वत आदि के रूप में व्याधात हो / 2. नियघातिक-जहाँ बीच में कोई व्याघात न हो। एक तारे से दूसरे तारे का निर्व्याघातिक अन्तर जघन्य 500 धनुष तथा उत्कृष्ट 2 गव्यूत बतलाया गया है। एक तारे से दूसरे तारे का व्याघातिक अन्तर जघन्य 266 योजन तथा उत्कृष्ट 12242 योजन बतलाया गया है। ज्योतिष्क देवों की अग्रमहिषियाँ 204. चन्दस्स णं भंते ! जोइसिदस्स मोइसरणो कइ अगमहिसीनो पण्णतामो? गोयमा ! चत्तारि अम्गमहिसीनो पण्णत्तानो तंजहा–चन्दप्पभा, दोसिणाभा, अच्चिमालो, पभंकरा / तो णं एगमेगाए देवीए चत्तारि 2 देवीसहस्साई परिवारो पण्णत्तो / पभू णं ताओ एगमेगा देवी अन्न देवीसहस्सं विउवित्तए, एवामेव सपुग्यवरेणं सोलस देवीसहस्सा, सेतं तुडिए। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org