________________ सप्तम वक्षस्कार] [359 बव, बालव, कौलव, स्त्रीविलोचन, गरादि, वणिज तथा विष्टि—ये सात करण चर बतलाये गये हैं एवं शकुनि, चतुष्पद, नाग और किस्तुघ्न-ये चार करण स्थिर बतलाये गये हैं। भगवन ! ये चर तथा स्थिर करण कब होते हैं ? गौतम ! शुक्ल पक्ष की एकम की रात में, एकम के दिन में बवकरण होता है। दूज को दिन में बालवकरण होता है, रात में कौलवकरण होता है / तीज को दिन में स्त्री विलोचनकरण होता है, रात में गरादिकरण होता है / चौथ को दिन में वणिजकरण होता है, रात में विष्टिकरण होता है / पाँचम को दिन में बवकरण होता है, रात में बालवकरण होता है / छठ को दिन में कौलवकरण होता है, रात में स्त्रीविलोचनकरण होता है। सातम को दिन में गरादिकरण होता है, रात में वणिजकरण होता है / आठम को दिन में विष्टिकरण होता है, रात में बवकरण होता है। नवम को दिन में बालवकरण होता है, रात में कौलवकरण होता है। दसम को दिन में स्त्रीविलोचन करण होता है, रात में गरादि करण होता है / ग्यारस को दिन में वणिजकरण होता है, रात में विष्टिकरण होता है। बारस को दिन में बवकरण होता है, रात में बालवकरण होता है / तेरस को दिन में कौलवकरण होता है, रात में स्त्रीविलोचन करण होता है। चौदस को दिन में गरादिकरण होता है, रात में वणिजकरण होता है। पूनम को दिन में विष्टिकरण होता है, रात में बवकरण होता है। __कृष्ण पक्ष की एकम को दिन में बालवकरण होता है, रात में कौलवकरण होता है / दूज को दिन में स्त्रीविलोचनकरण होता है, रात में गरादिकरण होता है। तीज को दिन में वणिजकरण होता है, रात में विष्टिकरण होता है। चौथ को दिन में बक्करण होता है, रात में बालव करण होता है। पांचम को दिन में कौलवकरण होता है, रात में स्त्रीविलोचनकरण होता है। छठ को दिन में गरादिकरण होता है, रात में वणिज करण होता है / सातम को दिन में विष्टिकरण होता है, रात को बवकरण होता है / पाठम को दिन में बालवकरण होता है, रात में कौलवकरण होता है। नवम को दिन में स्त्रीविलोचनकरण होता है, रात में गरादिकरण होता है। दसम को दिन को में वणिजकरण होता है, रात में विष्टिकरण होता है / ग्यारस को दिन में बवकरण होता है, रात में बालवकरण होता है / बारस को दिन में कौलवकरण होता है, रात में स्त्रीविलोचनकरण होता है। तेरस को दिन में गरादिकरण होता है, रात में वणिजकरण होता है। चौदस को दिन में विष्टिकरण होता है, रात में शकुनिकरण होता है। अमावस को दिन में चतुष्पदकरण होता है, रात में नागकरण होता है। शुक्ल पक्ष की एकम को दिन में किस्तुतकरण होता है। संवत्सर, अयन, ऋतु आदि 187. किमाइआ णं भंते ! संवच्छरा, किमाइमा अयणा, किमाइमा उऊ, किमाइमा मासा, किमाइआ पक्खा, किमाइमा अहोरत्ता, किमाइमा मुहुत्ता, किमाइश्रा करणा, किमाइआ गवखत्ता पण्णता ? गोयमा ! चंदाइया संवच्छरा, दक्खिणाइया अयणा, पाउसाइमा उऊ, सावणाइमा मासा, बहुलाइआ पक्खा, दिवसाइमा अहोरत्ता, रोहाइमा मुहुत्ता, बालवाइआ करणा, अभिजिनाइमा णक्खत्ता पण्णत्ता समणाउसो! इति / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org