________________ [जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिसूत्र एनासि णं भंते पण्णरसण्हं राईणं कह णामधेज्जा पण्णता? गोयमा ! पण्णरस णामधेज्जा पण्णत्ता, तं जहा-~~ उत्तमा य सुणक्खत्ता, एलावच्चा जसोहरा। सोमणसा चेव तहा, सिरिसंभूआ य बोद्धन्वा // 1 // विजया य वेजयन्ति, जयन्ति अपराजिता य इच्छा य / समाहारा चेव तहा, तेत्रा य तहा अईतेआ॥२॥ देवाणंदा णिरई, रयणीणं णामधिज्जाई। एयासि णं भंते ! पण्णरसण्हं राईणं कइ तिही पण्णत्ता ? गोयमा ! पण्णरस तिही पण्णता, तं जहा- उग्गवई, भोगवई, जसवई, सम्वसिद्धा, सुहणामा, पुणरवि-उग्गवई भोगवई जसवई सम्वसिद्धा सुहणामा; पुणरवि उग्गवई भोगवई जसवई सव्वसिद्धा सुहणामा। एवं तिगुणा एते तिहीनो सन्वेसि राईणं / एगमेगस्स णं भंते ! अहोरत्तस्स कइ मुहुत्ता पण्णत्ता ? गोयमा ! तीसं मुहुत्ता पण्णत्ता, तं जहा रुद्दे सेए मित्ते, वाउ सुवीए तहेव अभिचंदे / माहिंद-बलब-बंभे, बहुसच्चे चेव ईसाणे // 1 // तटू प्रभाविअप्पा, बेसमणे वारणे अपाणंदे / विजए अ वीससेणे, पायावच्चे उवसमे // 2 // गंधव्व-अग्गिधेसे, सयवसहे प्रायवे य अममे प्र। अणवं भोमे वसहे सव्व? रक्खसे चेव // 3 // [185] भगवन् ! प्रत्येक संवत्सर के कितने महीने बतलाये गये हैं ? गौतम ! प्रत्येक संवत्सर के बारह महीने बतलाये गये हैं। उनके लौकिक एवं लोकोत्तर दो प्रकार के नाम कहे गये हैं। लौकिक नाम इस प्रकार हैं-१. श्रावण, 2. भाद्रपद, (3. आसोज, 4. कार्तिक, 5. मिगसर, 6. पौष, 7. माघ, 8. फाल्गुन, 9. चैत्र 10. वैशाख, 11. जेठ तथा) 12. आषाढ / लोकोत्तर नाम इस प्रकार हैं-१. अभिनन्दित, 2. प्रतिष्ठित, 3. विजय, 4. प्रीतिवर्द्धन, 5. श्रेयान्, 6. शिव, 7. शिशिर, 8. हिमवान्, 9. वसन्तमास, 10. कुसुमसम्भव, 11. निदाघ तथा 12. वनविरोह / भगवन् ! प्रत्येक महीने के कितने पक्ष बतलाये गये हैं ? गौतम ! प्रत्येक महीने के दो पक्ष बतलाये गये हैं- 1. कृष्ण तथा 2. शुक्ल / भगवन् ! प्रत्येक पक्ष के कितने दिन बतलाये गये हैं ? गौतम ! प्रत्येक पक्ष के पन्द्रह दिन बतलाये गये हैं, जैसे--१. प्रतिपदा-दिवस, 2. द्वितीयादिवस, 3. तृतीया-दिवस, 4. चतुर्थी-दिवस. 5. पंचमी-दिवस, 6. षष्ठी-दिवस, 7. सप्तमी-दिवस, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org