________________ पञ्चम वक्षस्कार] [279 सेणं कालेणं तेणं समएणं पच्चत्थिमरुप्रगवस्थव्वानो अटु दिसाकुमारीमहत्तरियानो सरहिं जाव' विहरंति, तं जहा--- इलादेवी 1, सुरादेवी 2, पुहवी 3, पउमावई 4 / एगणासा 5, गवमिश्रा 6, भद्दा 7, सोश्रा य अट्ठमा 8 // 1 // तहेव जाव तुम्भाहि भाइअव्वंत्ति कटु जाव भगवनो तित्थयरस्स तित्थयरमाऊए म पच्चत्थिमेणं तालिअंटहत्थगयाश्रो पागायमाणीओ, परिगायमाणोश्रो चिट्ठन्ति / तेणं कालेणं तेणं समएणं उत्तरिल्लरुअगवत्थव्वानो जाव विहरंति, तं जहा-- अलंबुसा 1, मिस्सकेसी 2, पुण्डरीमा य 3, वारुणी 4 / हासा 5, सव्वप्पभा 6, चेव, सिरि 7, हिरि 8, चेव उत्तरप्रो॥१॥ तहेव जाव' वन्दित्ता भगवनो तित्थयरस्स तित्थयरमाऊए प्र उत्तरेणं चामरहत्थगयानो मागायमाणोश्रो, परिगायमाणीयो चिट्ठन्ति / तेणं कालेणं तेणं समएणं विदिसरुअगवत्थव्यानो चत्तारि दिसाकुमारीमहत्तरिमानो जाव विहरंति, तं जहा-चित्ता य 1, चित्तकणगा 2, सतेरा य 3, सोदामिणी 4 / तहेव जाव' ण भाइअव्वंति कटु भगवनो तित्थयरस्स तित्थयरमाऊए अचउसु विदिसासु दीविनाहत्थगयानो बागायमाणीयो, परिगायमाणीयो चिट्रन्ति त्ति। तेणं कालेणं तेणं समएणं मज्झिमरुअगवत्थव्वानो चत्तारि दिसाकुमारीमहत्तरिमानो सएहि 2 कू?हं तहेब जाव विहरंति, तं जहा--१. रूपा, 2. रुप्रासिश्रा, 3. सुरूमा, 4. रुप्रगावई। तहेव जाव' तुम्भाहि ग भाइयव्वंति कटु भगवो तित्थयरस्स चउरंगुलवज्ज णाभिणालं कप्पन्ति, कप्पेत्ता विपरगं खणन्ति, खणित्ता विनरगे णाभि णिहणंति, णिहणित्ता रयणाण य वइराण य पूरेति 2 त्ता हरिपालिप्राए पेढं बन्धंति 2 ता तिदिसि तो कयलीहरए विउव्वति / तए णं तेसि कयलोहरगाणं बहुमज्झदेसभाए तो चाउस्सालाए विउम्वन्ति, तए णं तेसि चाउसालगाणं बहुमझदेसभाए तो सीहासणे विउठवन्ति, तेसि णं सीहासणाणं अयमेवारूवे वण्णावासे पण्णत्ते, सम्वो वण्णगो भाणिप्रव्यो। 1. देखें सूत्र संख्या 146 2. देखें सूत्र यही 3. देखें सूत्र संख्या 146 4. देखें सूत्र संख्या 146 5. देखें सूत्र यही 6. देखें सूत्र संख्या 146 7. देखें सूत्र यही 8. देखें सूत्र संख्या 146 9. देखें सूत्र यही Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org