________________ 254] [जनीपप्रज्ञप्तिसूत्र ___ मन्दर पर्वत के दक्षिण-पूर्व में प्राग्नेय कोण में उत्पलगुल्मा, नलिना, उत्पला तथा उत्पलोज्ज्वला नामक पुष्करिणियां हैं, उनका प्रमाण पूर्वानुसार है। उनके बीच में उत्तम प्रासाद हैं। देवराज शकेन्द्र वहाँ सपरिवार रहता है। मन्दर पर्वत के दक्षिण-पश्चिम में-नैऋत्य कोण में भृगा, भृगनिभा, अंजना एव अंजनप्रभा नामक पुष्करिणियां हैं, जिनका प्रमाण, विस्तार पूर्वानुरूप है / शक्रेन्द्र वहाँ का अधिष्ठातृ देव है / सम्बद्ध सामग्री सहित सिंहासन पर्यन्त सारा वर्णन पूर्ववत् है। मन्दर पर्वत के उत्तर-पूर्व में-ईशान कोण में श्रीकान्ता, श्रीचन्द्रा, श्रीमहिता तथा श्रीनिलया नामक पुष्करिणियां हैं / बीच में उत्तम प्रासाद हैं / वहाँ ईशानेन्द्र देव निवास करता है। सम्बद्ध सामग्री सहित सिंहासन पर्यन्त सारा वर्णन पूर्वानुरूप है। भगवन् ! मन्दर पर्वत पर भद्रशाल वन में दिशाहस्तिकट-हाथी के आकार के शिखर कितने बतलाये गये हैं ? गौतम ! वहाँ आठ दिग्हस्तिकूट बतलाये गये हैं 1. पद्मोत्तर, 2. नीलवान्, 3. सुहस्ती, 4. अंजनगिरि, 5. कुमुद, 6. पलाश, 7. अवतंस तथा 8. रोचनागिरि / भगवन् ! मन्दर पर्वत पर भद्रशाल वन में पद्मोत्तर नामक दिग्हस्तिकूट कहाँ बतलाया गया है ? गौतम ! मन्दर पर्वत के उत्तर-पूर्व में ईशान कोण में तथा पूर्व दिग्गत शीता महानदी के उत्तर में पद्मोत्तर नामक दिग्हस्तिकूट बतलाया गया है / वह 500 योजन ऊँचा तथा 500 कोश जमीन में गहरा है / उसकी चौड़ाई तथा परिधि चुल्ल हिमवान् पर्वत के समान है / प्रासाद आदि पूर्ववत् हैं / वहाँ पद्मोत्तर नामक देव निवास करता है / उसकी राजधानी उत्तर-पूर्व में ईशान कोण में है। नीलवान नामक दिग्हस्तिकट मन्दर पर्वत के दक्षिण-पूर्व में-आग्नेय कोण में तथा पूर्व दिशागत शीता महानदी के दक्षिण में है। वहाँ नीलवान् नामक देव निवास करता है। उसकी राजधानी दक्षिण-पूर्व में प्राग्नेय कोण में है। सुहस्ती नामक दिग्हस्तिकूट मन्दर पर्वत के दक्षिण-पूर्व में-आग्नेय कोण में तथा दक्षिणदिशागत शीतोदा महानदी के पूर्व में है। वहाँ सुहस्ती नामक देव निवास करता है। उसकी राजधानी दक्षिण-पूर्व में आग्नेय कोण में है / ___अंजनगिरि नामक दिग्हस्तिकूट मन्दर पर्वत के दक्षिण-पश्चिम में नैऋत्य कोण में तथा दक्षिण-दिशागत शीतोदा महानदी के पश्चिम में है। अंजनगिरि नामक उसका अधिष्ठायक देव है। उसकी राजधानी दक्षिण-पश्चिम में--नैऋत्य कोण में है। ___ कुमुद नामक विदिशागत हस्तिकूट मन्दर पर्वत के दक्षिण-पश्चिम में नैऋत्य कोण में तथा पश्चिम-दिग्वर्ती शीतोदा महानदी के दक्षिण में है। वहाँ कुमुद नामक देव निवास करता है। उसकी राजधानी दक्षिण-पश्चिम में-नैऋत्य कोण में है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org