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________________ चतुर्भ वक्षस्कार] [233 भगवन् ! चित्रकूट वक्षस्कार पर्वत के कितने कूट बतलाये गये हैं ? गौतम ! उसके चार फूट बतलाये गये हैं-१. सिद्धायतनकूट (चित्रकूट के दक्षिण में), 2. चित्रकूट (सिद्धायतनकूट के उत्तर में), 3. कच्छकूट (चित्रकूट के उत्तर में) तथा 4. सुकच्छकूट (कच्छकूट के दक्षिण में)। ये परस्पर उत्तर-दक्षिण में एक समान हैं। पहला सिद्धायतनकूट शीता महानदी के उत्तर में तथा चौथा सुकच्छकूट नीलवान् वर्षधर पर्वत के दक्षिण में है। चित्रकूट नामक परम ऋद्धिशाली देव वहाँ निवास करता है। राजधानी पर्यन्त सारा वर्णन पूर्ववत् है। सुकच्छ विजय 112. कहि णं भन्ते ! जम्बुद्दीवे दीवे महाविदेहे वासे सुकच्छे णाम विजए पण्णत ? गोयमा ! सीमाए महाणईए उत्तरेणं, गोलवन्तस्स वासहरपव्वयस्स दाहिणणं, गाहावईए महाणईए पच्चस्थिमेणं, चित्तकूडस्स वखारपब्वयस्स पुरथिमेणं एत्थ णं जम्बुद्दीवे दोवे महाविदेहे वासे सुकच्छे णामं विजए पण्णते, उत्तरदाहिणायए, जहेव कच्छे विजए तहेव सुकच्छे विजए, णवरं खेमपुरा रायहाणी, सुकच्छे राया समुप्पज्जइ तहेव सब्बं / कहि णं भन्ते ! जम्बुद्दीवे 2 महाविदेहे वासे गाहावइकुण्डे पणते ? गोयमा ! सुकच्छविजयस्स पुरत्थिमेणं, महाकच्छस्स विजयस्स पच्चत्थिमेणं, गीलवन्तस्स बासहरपन्वयस्स दाहिणिल्ले णितम्बे एत्थ णं जम्बुद्दीवे दीवे महाविदेहे वासे गाहावइकुण्डे णामं कुण्डे पण्णत्ते, जहेव रोहिअंसाकुण्डे तहेव जाव गाहावइदीवे भवणे। तस्स णं गाहावइस्स कुण्डस्स दाहिणिल्लेणं तोरणेणं गाहावई महाणई पढा समाणी सुकच्छमहाकच्छविजए दुहा विभयमाणो 2 अट्ठावीसाए सलिलासहस्सेहि समग्गा दाहिणणं सोमं महाणई समप्पेह / गाहावई णं महाणई पबहे अ मुहे अ सम्वत्थ समा, पणवीसं जोअणसयं विक्खम्भेणं, अद्धाइज्जाई जोअणाई उठवेहेणं, उभओ पासि दोहि प्र एउमवरवेइहिं दोहि अवणसण्डेहि जाव बुण्हवि वण्णमो इति। [112] भगवन् ! जम्बूद्वीप के अन्तर्गत महाविदेह क्षेत्र में सुकच्छ नामक विजय कहाँ बतलाया गया है ? ___गौतम ! शीता महानदी के उत्तर में, नीलवान् वर्षधर पर्वत के दक्षिण में, ग्राहावती महानदी के पश्चिम में तथा चित्रकूट वक्षस्कार पर्वत के पूर्व में जम्बूद्वीप के अन्तर्गत महाविदेह क्षेत्र में सुकच्छ नामक विजय बतलाया गया है / वह उत्तर-दक्षिण लम्बा है / उसका विस्तार आदि सब वैसा ही है, जैसा कच्छ विजय का है। इतना अन्तर है--क्षेमपुरा उसकी राजधानी है / वहाँ सुकच्छ नामक राजा समुत्पन्न होता है / बाकी सब कच्छ विजय की ज्यों हैं। भगवन् ! जम्बूद्वीप के अन्तर्गत महाविदेह क्षेत्र में ग्राहावती कुण्ड कहाँ बतलाया गया है ? Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003486
Book TitleAgam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Chhaganlal Shastri, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1986
Total Pages480
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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