________________ 196] [जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिसूत्र [95] भगवन् ! वह हैमवत क्षेत्र क्यों कहा जाता है ? गौतम ! वह चुल्ल हिमवान् तथा महाहिमवान् वर्षधर पर्वतों के बीच में है-महाहिमवान् पर्वत से दक्षिण दिशा में एवं चुल्ल हिमवान् पर्वत से उत्तर दिशा में, उनके अन्तराल में विद्यमान है। वहाँ जो यौगलिक मनुष्य निवास करते हैं, वे बैठने आदि के निमित्त नित्य स्वर्णमय शिलापट्टक आदि का उपयोग करते हैं। उन्हें नित्य स्वर्ण देकर वह यह प्रकाशित करता है कि वह स्वर्णमय विशिष्ट वैभवयुक्त है। ( यह प्रौपचारिक कथन है) वहाँ परम ऋद्धिशाली, एक पल्योपम आयुष्ययुक्त हैमवत नामक देव निवास करता है / गौतम ! इस कारण वह हैमवतक्षेत्र कहा जाता है / महाहिमवान वर्षधर पर्वत 66. कहि णं भंते ! जंबुद्दीवे 2 महाहिमवन्ते णाम वासहरपव्वए पण्णत्ते ? गोयमा ! हरिवासस्स दाहिणणं, हेमवयस्स वासस्स उत्तरेणं, पुरथिमलवणसमुदस्स पच्चत्थिमेणं, पच्चत्थिमलवणसमुद्दस्स पुरथिमेणं, एत्थ णं जम्बुद्दीवे महाहिमवंते णाम वासहरपब्वए पण्णत्ते। पाईणपडीणायए, उदीणदाहिणवित्थिण्णे, पलियंकसंठाणसंठिए, दुहा लवणसमुदं पुढें, पुरथिमिल्लाए कोडीए (पुरथिमिल्लं लवणसमुदं) पुठे, पच्चथिमिल्लाए कोडीए पच्चथिमिल्लं लवणसमुदं पुढें। दो जोअणसयाई उद्ध उच्चत्तेणं, पण्णासं जोणाइं उन्हेणं, चत्तारि जोअणसहस्साई दोणि अ दसुत्तरे जोअणसए दस य एगणवीसइभाए जोअणस्स विक्खंभेणं / तस्स बाहा पुरथिमपच्चस्थिमेणं णव य जोअणसहस्साई दोणि अछावत्तरे जोअणसए णव य एगूणवीसइभाए जोअणस्स अद्धभागं च आयामेणं / तस्स जीवा उत्तरेणं पाईणपडीणायया, दुहा लवणसमुदं पुट्ठा, पुरथिमिल्लाए कोडीए पुरथिमिल्लं लवणसमुदं पुट्ठा, पच्चथिमिल्लाए (कोडीए पच्चथिमिल्लं लवणसमुदं) पुट्ठा, तेवण्णं जोअणसहस्साई नव य एगतीसे जोअणसए छच्च एगणवीसइभाए जोअणस्स किंचिविसेसाहिए आयामेणं / तस्स धणु दाहिणणं सत्तावण्णं जोअणसहस्साई दोणि अ तेणउए जोप्रणसए दस य एगूणवीसइभाए जोअणस्स परिक्खेवेणं, रुअगसंठाणसंठिए, सम्वरयणामए, अच्छे / उभो पासि दोहि पउमवरवेइआहि दोहि अवणसंहिं संपरिक्खित्ते। महाहिमवन्तस्स णं वासहरपव्वयस्स उप्पि बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे पण्णत्ते, जाव' णाणाविह पञ्चवणेहि मणीहि अ तणेहि अ उवसोभिए जाव' आसयंति सयंति य / [96] भगवन् ! जम्बूद्वीप में महाहिमवान् नामक वर्षधर पर्वत कहाँ बतलाया गया है ? गौतम ! हरिवर्षक्षेत्र के दक्षिण में, हैमवतक्षेत्र के उत्तर में, पूर्वी लवणसमुद्र के पश्चिम में तथा पश्चिमी लवणसमुद्र के पूर्व में जम्बूद्वीप के अन्तर्गत महाहिमवान् नामक वर्षधर पर्वत बतलाया गया है। वह पर्वत पूर्व-पश्चिम लम्बा तथा उत्तर-दक्षिण चौड़ा है। वह पलंग का-सा आकार लिये 1. देखें सूत्र संख्या 6 2. देखें सूत्र संख्या 12 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org