________________ ज्योतिषशास्त्र निमित्तशास्त्र माना गया है। इसका विशेषज्ञ शुभाशुभ जानने में सफल हो सकता है / मानव की सर्वाधिक जिज्ञासा भविष्य जानने की होती है क्योंकि वह इष्ट का संयोग एवं कार्य की सिद्धि चाहता है। चन्द्रप्रज्ञप्ति और सूर्यप्रज्ञप्ति ज्योतिष विषय के उपांग है यद्यपि इनमें गणित अधिक है और फलित अत्यल्प है, फिर भी इनका परिपूर्ण ज्ञाता शुभाशुभ निमित्त का ज्ञाता माना जाता है-यह धारणा प्राचीनकाल से प्रचलित है। ग्रह-नक्षत्र मानवमात्र के भावी के द्योतक हैं अतएव इनका मानव जीवन के साथ व्यापक संबंध है। निमित्तशास्त्र के प्रति जो मानव की अगाध श्रद्धा है, वह भी ग्रह-नक्षत्रों के शुभाशुभ प्रभाव के कारण ज्योतिषी देवों का जीव-जगत् से सम्बन्ध __ इस मध्यलोक के मानव और मानवेतर प्राणी-जगत् से चन्द्र आदि ज्योतिषी देवों का शाश्वत संबंध है। क्योंकि वे सब इसी मध्यलोक के स्वयं प्रकाशमान देव हैं और वे इस भूतल के समस्त पदार्थों को प्रकाश प्रदान करते रहते हैं। ज्योतिष लोक और मानव लोक का प्रकाश्य-प्रकाशक भाव सम्बन्ध इस प्रकार है (1) चन्द्र शब्द को रचना चदि पालादने धातु से "चन्द्र" शब्द सिद्ध होता है। चन्द्रमालादं मिमीते निमिमीते इति चन्द्रमा प्राणिजगत् के आह्लाद का जनक चन्द्र है, इसलिए चन्द्रदर्शन की परम्परा प्रचलित है। चन्द्र के पर्यायवाची अनेक हैं उनमें कुछ ऐसे पर्यायवाची हैं जिनसे इस पृथ्वी के समस्त पदार्थों से एवं पुरुषों से चन्द्र का प्रगाढ़ संबंध सिद्ध है। कुमुवबान्धव-जलाशयों में प्रफुल्लित कुमुदिनी का बन्धु चन्द्र है इसलिए “कुमुदबान्धव" कहा जाता है। कलानिधि चन्द्र के पर्याय हिमांशु, शुभ्रांशु, सुधांशु की अमृतमयी कलानों से कुमुदिनी का सीधा सम्बन्ध है। इसकी साक्षी है राजस्थानी कवि की सूक्तिदोहा-जल में बसे कुमुदिनी, चन्दा बसे आकाश / जो जाहु के मन बसे, सो ताहु के पास // औषधीश---जंगल की जड़ी बूटियां "औषधि" हैं उनमें रोग-निवारण का अद्भुत सामथ्यं सुधांशु की सुधामयी रश्मियों से आता है। मानव प्रारोग्य का अभिलाषी है, वह पौषधियों से प्राप्त होता है इसलिए प्रौषधीश चन्द्र से मानव का घनिष्ठ सम्बन्ध है। निशापति-निशा-रात्रि का पति--चन्द्र है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org