________________ [305 चतुर्थ स्पितिपद] [346-1 प्र.] भगवन् ! नागकुमार देवों की स्थिति कितने काल तक की कही गई है ? [346-1 उ.] गौतम ! जघन्य दस हजार वर्ष की और उत्कृष्ट देशोन (कुछ कम) दो पल्योपमों की है। [2] अपज्जत्तयाणं भंते ! णागकुमाराणं देवाणं केवतियं कालं ठिती पण्णता? गोयमा ! जहण्णणं वि अंतोमुहत्तं, उक्कोसेण वि अंतोमहत्तं / [349-2 प्र.] भगवन् ! अपर्याप्त नागकुमारों को स्थिति कितने काल तक को कही [349-2 उ.] गौतम ! जघन्य भी अन्तर्मुहूर्त की और उत्कृष्ट भी अन्तर्मुहूर्त की है। [3] पज्जत्तयाणं भंते ! णागकुमाराणं देवाणं केवतियं कालं ठिती पण्णता? गोयमा ! जहणणं दस वाससहस्साई अंतोमुहंतूणाई, उक्कोसेणं दो पलिग्रोवमाई देसूणाई अंतोमुत्तूणाई। [349.3 प्र.] भगवन् ! पर्याप्त नागकुमारों की स्थिति कितने काल तक की कही गई है ? [349-3 उ.] गोतम ! जघन्य अन्तर्मुहूर्त कम दस हजार वर्ष की और उत्कृष्ट अन्तमुहूर्त कम देशोन दो पल्योपम की है। 350. [1] नागकुमारीणं भंते ! देवीणं केवतियं कालं ठिती पण्णत्ता ? गोयमा ! जहण्णेणं दस बाससहस्साई, उक्कोसेणं देसूर्ण पलिग्रोवमं / [350-1 प्र.] भगवन् ! नागकुमार देवियों की स्थिति कितने काल तक की कही गई है ? [350-1 उ.] गौतम ! जघन्य दस हजार वर्ष की और उत्कृष्ट देशोन पल्योपम की है / [2] अपज्जत्तियाणं णागकुमारीणं भंते ! देवीणं केवतियं कालं ठिती पण्णता? गोयमा ! जहण्णेण वि अंतोमुत्तं, उक्कोसेण वि अंतोमुहत्तं / [350-2 प्र.] भगवन् ! अपर्याप्त नागकुमार देवियों की स्थिति कितने काल तक की कही गई है ? [350-2 उ.] गौतम ! जघन्य अन्तर्मुहूर्त की और उत्कृष्ट भी अन्तर्मुहूर्त की है। [3] पज्जत्तियाण णागकुमारीणं भंते ! देवीणं केवतियं कालं ठिती पण्णता? गोयमा ! जहण्णेणं दस वाससहस्साई अंतोमुत्तूणाई, उक्कोसेणं देसूणं पलिप्रोवमं अंतो. मुहुत्तूणाई। [350.3 प्र.] भगवन् ! पर्याप्त नागकुमार देवियों को स्थिति कितने काल तक की कही गई है ? [350-3 उ.] गौतम ! जघन्य अन्तर्मुहत कम दस हजार वर्ष की और उत्कृष्ट देशोन पल्योपम में अन्तर्मुहूर्त कम की है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org