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[440] [Prajñāpanā Sūtra [1516/2 Pr.] (Bhagavan!) If there is a विक्रिय शरीर (vaikriya śarīra) of a गर्भज-मनुष्य-पंचेन्द्रिय (garbhaja-manuṣya-pañcendriya), then is there a विक्रिय शरीर of a कर्मभूमिक-गर्भज-मनुष्य-पंचेन्द्रिय (karmabhūmik-garbhaja-manuṣya-pañcendriya), an अकर्मभूमिक-गर्भज-मनुष्य-पंचेन्द्रिय (akarmabhūmik-garbhaja-manuṣya-pañcendriya), or an अन्तरद्वीपज-गर्भज-मनुष्य-पंचेन्द्रिय (antaradvīpaja-garbhaja-manuṣya-pañcendriya)? [U.] Gautama! There is a विक्रिय शरीर of a कर्मभूमिक-गर्भज-मनुष्य-पंचेन्द्रिय, but not of an अकर्मभूमिक-गर्भज-मनुष्य-पंचेन्द्रिय, nor of an अन्तरद्वीपज-गर्भज-मनुष्य-पंचेन्द्रिय. [3] If there is a विक्रिय शरीर of a कर्मभूमिक-गर्भज-मनुष्य-पंचेन्द्रिय, then is there a विक्रिय शरीर of a संख्येय-वर्षायुष्क-कर्मभूमिक-गर्भज-मनुष्य-पंचेन्द्रिय (saṃkhyeya-varṣāyuṣka-karmabhūmik-garbhaja-manuṣya-pañcendriya) or an असंख्येय-वर्षायुष्क-कर्मभूमिक-गर्भज-मनुष्य-पंचेन्द्रिय (asaṃkhyeya-varṣāyuṣka-karmabhūmik-garbhaja-manuṣya-pañcendriya)? [U.] Gautama! There is a विक्रिय शरीर of a संख्येय-वर्षायुष्क-कर्मभूमिक-गर्भज-मनुष्य-पंचेन्द्रिय, but not of an असंख्येय-वर्षायुष्क-कर्मभूमिक-गर्भज-मनुष्य-पंचेन्द्रिय. [4] If there is a विक्रिय शरीर of a संख्येय-वर्षायुष्क-कर्मभूमिक-गर्भज-मनुष्य-पंचेन्द्रिय, then is there a विक्रिय शरीर of a पर्याप्तक-संख्येय-वर्षायुष्क-कर्मभूमिक-गर्भज-मनुष्य-पंचेन्द्रिय (paryāptak-saṃkhyeya-varṣāyuṣka-karmabhūmik-garbhaja-manuṣya-pañcendriya) or an अपर्याप्तक-संख्येय-वर्षायुष्क-कर्मभूमिक-गर्भज-मनुष्य-पंचेन्द्रिय (aparyāptak-saṃkhyeya-varṣāyuṣka-karmabhūmik-garbhaja-manuṣya-pañcendriya)? [U.] Gautama! There is a विक्रिय शरीर of a पर्याप्तक-संख्येय-वर्षायुष्क-कर्मभूमिक-गर्भज-मनुष्य-पंचेन्द्रिय, but not of an अपर्याप्तक-संख्येय-वर्षायुष्क-कर्मभूमिक-गर्भज-मनुष्य-पंचेन्द्रिय. 1520. [1] If there is a विक्रिय शरीर of a देव-पंचेन्द्रिय (deva-pañcendriya), then is there a विक्रिय शरीर of a भवनवासि-देव-पंचेन्द्रिय (bhavanavāsī-deva-pañcendriya) or a वेमाणिय-देव-पंचेन्द्रिय (vemāṇiya-deva-pañcendriya)? [U.] Gautama! There is a विक्रिय शरीर of a भवनवासि-देव-पंचेन्द्रिय as well as a वेमाणिय-देव-पंचेन्द्रिय.