________________ अभियोगिक देवों द्वारा आज्ञापालन ] इन सबकी अर्चना कर लेने के बाद वह बलिपीठ के पास आया और बलि-विसर्जन करके अपने आभियोगिक देवों को बुलाया और बुलाकर उनको यह प्राज्ञा दीआभियोगिक देवों द्वारा प्राज्ञापालन २०१-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! सूरियाभे विमाणे सिंघाडएसु तिएसु उक्केसु चच्चरेसु चउमुहेसु महापहेसु पागारेसु अट्ठालएसु चरियासु दारेसु गोपुरेसु तोरणेसु पारामेसु उज्जाणेसु वणेसु वणराईसु काणणेसु वणसंडेसु अच्चणियं करेह, अच्चणियं करेत्ता एवमाणत्तियं खिप्पामेव पच्चप्पिणह / २०१---हे देवानुप्रियो ! तुम लोग जानो और शीघ्रातिशीघ्र सूर्याभ विमान के शृगाटकों (सिंघाड़े को प्राकृति जैसे त्रिकोण स्थानों) में, त्रिकों (तिराहों) में, चतुष्कों (चौकों) में, चत्वरों में, चतुर्मुखों (चारों ओर द्वार वाले स्थानों) में, राजमार्गों में, प्राकारों में, अट्टालिकानों में, चरिकाओं में, द्वारों में, गोपुरों में, तोरणों, आरामों, उद्यानों, वनों, वनराजियों काननों, वनखण्डों में जा-जा कर अर्चनिका करो और अर्चनिका करके शीघ्र ही यह आज्ञा मुझे वापस लौटाओ, अर्थात् आज्ञानुसार कार्य करने की मुझे सूचना दो। २०२-तए णं ते पाभिमोगिया देवा सूरियाभेणं देवेणं एवं वृत्ता समाणा जाव पडिसुणित्ता सूरियाभे विमाणे सिंघाडएसु-तिएसु-चउक्कएसु-चच्चरेसु-चउम्मुहेसु-महापहेसु-पागारेसु-अट्टालएसु-चरियासु-दारेसु-गोपुरेसु-तोरणेसु-पारामेसु-उज्जाणेसु-वणेसु-वणरातीसु-काणणेसु-वणसंडेसु अच्चणियं करेन्ति, जेणेव सूरियामे देवे जाव पच्चप्पिणंति / २०२--तदनन्तर उन प्राभियोगिक देवों ने सूर्याभदेव की इस आज्ञा को सुनकर यावत् स्वीकार करके सूर्याभ विमान के शृगाटकों, त्रिकों, चतुष्कों, चत्वरों, चतुर्मुखों, राजमार्गों, प्राकारों, अट्टालिकाओं, चरिकाओं, द्वारों, गोपुरों, तोरणों, आरामों, उद्यानों, वनों, वनराजियों और वनखण्डों की अर्चनिका को और अर्चनिका करके सूर्याभदेव के पास आकर प्राज्ञा वापस लौटाई-आज्ञानुसार कार्य हो जाने की सूचना दी। २०३--तते णं से सूरियाभे देवे जेणेव गंदा पुक्खरिणी तेणेव उवागच्छइ, नंदापुक्खरिणि पुरथिमिल्लेणं तिसोपाणपडिरूबएणं पच्चोरहति, हत्थपाए पक्खालेइ, गंदाश्रो पुक्खरिणीयो पच्चत्तरेइ, जेणेव सभा सुधम्मा तेणेव पहारित्य गमणाए। २०३–तदनन्तर वह सूर्याभदेव जहाँ नन्दा पुष्करिणी थी, वहाँ पाया और पूर्व दिशावर्ती त्रिसोपानों से नन्दा पुष्करिणी में उतरा। हाथ पैरों को धोया और फिर नन्दा पुष्करिणी से बाहर निकला। निकल कर सुधर्मा सभा की ओर चलने के लिए उद्यत हुया / २०४--तए णं सूरियाभे देवे चहि सामाणियसाहस्सीहि जाव' सोलसहि प्रायरक्खदेवसाहस्सीहि, अन्नेहि य बहूहिं सूरियाविमाणवासीहिं वेमाणिएहिं देवेहि देवीहि य सद्धि संपरिडे सविडोए जाव नाइयरवेणं जेणव सभा सुहम्मा तेणेव उवागच्छइ, सभं सुधम्म पुरथिमिल्लेणं दारेणं 1. देखें सूत्र संख्या 7 2. देखें सूत्र संख्या 19 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org