________________ [औपपातिषासूत्र 1. क्रोध-कषाय-व्युत्सर्ग-क्रोध का त्याग / 2. मान-व्युत्सर्ग-अहंकार का त्याग / 3. माया-व्युत्सग छल-कपट का त्याग / 4. लोभ-व्युत्सर्ग-लालच का त्याग / यह कषाय-व्युत्सर्ग का विवेचन है। संसारव्युत्सर्ग क्या है वह कितने प्रकार का है ? संसारव्युत्सर्ग चार प्रकार का बतलाया गया है / वह इस प्रकार है-- 1. नैरयिक-संसारव्युत्सर्ग-नरक-गति बँधने के कारणों का त्याग / 2. तिर्यक्-संसारव्युत्सर्ग--तिर्यञ्च-गति बँधने के कारणों का त्याग / 3. मनुज-संसारव्युत्सर्ग-मनुष्य-गति बँधने के कारणों का त्याग / 4. देव-संसारव्युत्सर्ग-देव-गति बँधने के कारणों का त्याग / यह संसारव्युत्सर्ग का वर्णन है। कर्मव्युत्सर्ग क्या है-वह कितने प्रकार का है ? कर्मन्युत्सर्ग आठ प्रकार का बतलाया गया है। वह इस प्रकार है१. ज्ञानावरणीण-कर्म-व्युत्सर्ग-आत्मा के ज्ञान गुण के पावरक कर्म-पुद्गलों के बँधने के ___कारणों का त्याग। 2. दर्शनावरणीय-कर्म-व्युत्सर्ग-प्रात्मा के दर्शन सामान्य ज्ञान गुण के प्रावरक कर्म पुद्गलों के बँधने के कारणों का त्याग / 3. वेदनीय-कर्म-व्युत्सर्ग-साता-असाता-सुख-दुःख रूप वेदना के हेतुभूत कर्म-पुद्गलों के बँधने के कारणों का त्याग, सुख-दुःखात्मक अनुकूल-प्रतिकूल वेदनीयता में प्रात्मा को तद्-अभिन्न मानने का उत्सर्जन / 4. मोहनीय-कर्म-व्युत्सर्ग-आत्मा के स्वप्रतीति--स्वानुभूति-स्वभावरमणरूप गुण के पावरक कर्म-पुद्गलों के बँधने के कारणों का त्याग / / 5. आयुष्य-कर्म-व्युत्सर्ग-किसी भव में पर्याय में रोक रखने वाले आयुष्य कर्म के पुद्गलों के बँधने के कारणों का त्याग / 6. नाम-कर्म-व्युत्सर्ग-आत्मा के अमूर्तत्व गुण के प्रावरक कर्म-पुद्गलों के बँधने के कारणों का त्याग। 7. गोत्र-कर्म-व्युत्सर्ग---मात्मा के अगुरुलघुत्व (न भारीपन-न हलकापन) रूप गुण के पावरक कर्म-पुद्गलों के बँधने के कारणों का त्याग / 8. अन्तराय-कर्म-व्युत्सर्ग--आत्मा के शक्ति-रूप गुण के आवरक, अवरोधक कर्म-पुद्गलों के बँधने के कारणों का त्याग / यह कर्मव्युत्सर्ग है। इस प्रकार व्युत्सर्ग का विवेचन है / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org