________________ द्वितीय अध्ययन ] से सज्जित होकर, ग्रं वेयक धारण कर एवं ग्रायुध प्रहरणों को लेकर अपने घर से निकला और हस्तिनापुर नगर के मध्य से होता हुआ जहाँ पर गोमण्डप था वहाँ पर आया, और आकर वह नागरिक पशुयों यावत् वृषभों में से कई एक के ऊधस्, कई एक के सास्ना-कम्बल आदि व कई एक के अन्यान्य अङ्गोपाङ्गों को काटता है और काटकर अपने घर आता है। पाकर अपनी भार्या उत्पला को दे देता है। तदनन्तर वह उत्पला उन अनेक प्रकार के शूल आदि पर पकाये गये गोमांसों के साथ अनेक प्रकार की मदिरा आदि का आस्वादन, विस्वादन करती हुई अपने दोहद को परिपूर्ण करती है / इस तरह वह परिपूर्ण दोहद वाली, सन्मानित दोहद वाली, विनीत दोहद वाली, व्युच्छिन्न दोहद वाली व सम्पन्न दोहद वाली होकर उस गर्भ को सुखपूर्वक धारण करती है / १३-तए णं सा उप्पला कूडग्गाहिणी अनया कयाइ नवण्हं मासाणं बहुपडिपुण्णाणं दारगं पयाया। तए णं तेणं दारएणं जायमेत्तेणं चेव महया महया चिच्ची सद्देणं विघुट्ठ विस्सरे प्रारसिए / तए णं तस्स दारगस्स प्रारसिय-सह सोच्चा निसम्म हस्थिणाउरे नयरे बहवे नगरगोरूवा जाव वसभा य भीया तत्था तसिया उबिगा सम्वनो समंता विपलाइत्था। तए णं तस्स दारगस्स अम्मापियरो अयमेयारूवं नामधेज्ज करेन्ति--'जम्हा णं अम्हं इमेणं दारएणं जायमेत्तेणं चेव महया महया चिच्ची सद्दणं विध? विस्सरे प्रारसिए, तए णं एयस्स दारगस्स प्रारसियसई सोच्चा निसम्म हत्थिमाउरे नयरे बहवे नगरगोरूवा जाव भीया तत्था तसिया उद्विग्गा, सव्वनो समंता विप्पलाइत्था, तम्हा णं होउ अम्हं दारए 'गोतासए' नामेणं / तए णं से गोत्तासए दारए उम्मुक्कबालभावे जाए यावि होत्था / १३-तदनन्तर उस उत्पला नामक कूटग्राहिणी ने किसी समय नव-मास परिपूर्ण हो जाने पर पुत्र को जन्म दिया। जन्म के साथ ही उस बालक ने अत्यन्त कर्णकटु तथा चीत्कारपूर्ण भयंकर आवाज की। उस बालक के कठोर, चीत्कारपर्ण शब्दों को सनकर तथा अवधारण कर हस्तिनापर नगर के बहुत से नागरिक पशु यावत् वृषभ आदि भयभीत व उद्वेग को प्राप्त होकर चारों दिशाओं में भागने लगे। इससे उसके माता-पिता ने इस तरह उसका नाम-संस्करण किया कि जन्म के साथ ही इस बालक ने 'चिच्ची' चीत्कार के द्वारा कर्णकटु स्वर युक्त प्राक्रन्दन किया, इस प्रकार के उस कर्णकटु, चीत्कारपूर्ण आक्रन्दन को सुनकर तथा अवधारण कर हस्तिनापुर के गौ आदि नागरिक पशु भयभीत व उद्विग्न होकर चारों तरफ भागने लगे, अतः इस बालक का नाम गोत्रास (गाय आदि पशुओं को त्रास देने वाला) रक्खा जाता है। तदनन्तर यथासमय उस गोत्रास नामक बालक ने बाल्यावस्था को त्याग कर युवावस्था में प्रवेश किया। 14-- तए णं से भीमे कूडग्गाहे अन्नया कयाइ कालधम्मुणा संजुत्ते / तए णं से गोत्तासए दारए बहुएणं मित्त-नाइ-नियग-सयण सम्बन्धि-परियणेणं सद्धि संपरिवुड़े रोयमाणे कन्दमाणे विलवमाणे भीमस्स कूडग्गाहस्स नोहरणं करेइ, करेत्ता बहूहि लोइयमयकिच्चाई करेइ / तए णं से सुनंद राया गोत्तासं दारयं अन्नया कयाइ सयमेव कूडग्गाहत्ताए ठावेइ / तए णं से गोतासे दारए कूडग्गाहे जाए यावि होत्था--अहम्मिए जाव दुप्पडियाणंदे। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org