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________________ 105 . 112 113 115 م 117 117 118 122 127 127 ل 135 137 संसार-सागर भोगे विना छुटकारा नहीं उपसंहार . चतुर्थ अध्ययन-अब्रह्म अब्रह्म का स्वरूप अब्रह्म के गुणनिष्पन्न नाम अब्रह्मसेवी देवादि चक्रवर्ती के विशिष्ट भोग चक्रवर्ती का राज्यविस्तार चक्रवर्ती नरेन्द्र के विशेषण चक्रवर्ती के शुभ लक्षण चक्रवर्ती की ऋद्धि बलदेव और वासुदेव के भोग माण्डलिक राजाओं के भोग अकर्मभूमिज मनुष्यों के भोग अकर्मभूमिज नारियों की शरीर-सम्पदा . परस्त्री में लुब्ध जीवों की दुर्दशा अब्रह्मचर्य का दुष्परिणाम पञ्चम अध्ययन-परिग्रह परिग्रह का स्वरूप परिग्रह के गुणनिष्पन्न नाम परिग्रह के पाश में देव एवं मनुष्यगण भी बँधे हैं विविध कलाएँ भी परिग्रह के लिए परिग्रह पाप का कटु फल प्रास्रवद्वार का उपसंहार द्वितीय श्रुतस्कन्ध-संबरद्वार भूमिका प्रथम अध्ययन-अहिंसा संवरद्वारों की महिमा अहिंसा भगवती के साठ नाम अहिंसा की महिमा अहिंसा के विशुद्ध दृष्टा और पाराधक आहार की निर्दोष विधि (नवकोटिपरिशुद्ध, शंकितादि दस दोष, सोलह उद्गमदोष, सोलह उत्पादनादोष) [33] 141 143 148 154 156 157 165 167 171 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003478
Book TitleAgam 10 Ang 10 Prashna Vyakaran Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1989
Total Pages359
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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